सोचता हूँ आज फिर
से में कुफ्र की बात करूँ
फिर सोचता हूँ
चलो छोडो नास्तिक हो जाऊं
खुदा की बनाई
खूबसूरती की तारीफ़ करूँ
इसीलिए
होसला रख कर
आज में सच कहता हूँ
तेरा आकर यूँ मुझ से यूँ लिपट जाना
बाहों में मेरे आकर यूँ पिघल जाना
हां कहता हूँ
जन्नत यही है
जन्नत यही है ,,,,
सोचता हूँ शायद
खुदा की बनाई
जन्नत यही है ,,
से में कुफ्र की बात करूँ
फिर सोचता हूँ
चलो छोडो नास्तिक हो जाऊं
खुदा की बनाई
खूबसूरती की तारीफ़ करूँ
इसीलिए
होसला रख कर
आज में सच कहता हूँ
तेरा आकर यूँ मुझ से यूँ लिपट जाना
बाहों में मेरे आकर यूँ पिघल जाना
हां कहता हूँ
जन्नत यही है
जन्नत यही है ,,,,
सोचता हूँ शायद
खुदा की बनाई
जन्नत यही है ,,
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