इंटरनेशनल डेस्क। टूथपेस्ट, साबुन और प्लास्टिक के खिलौनों
जैसे घरेलू उत्पादों में मौजूद रासायनिक तत्वों से पुरुषों में नपुंसकता के
मामले बढ़ रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इन चीजों से पुरुषों के
शुक्राणुओं पर बुरा असर पड़ रहा है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, रोजमर्रा में इस्तेमाल आने वाली हर तीन में से
एक चीज में जहरीले रसायन मिलाए जाते हैं। इन रसायनों के कारण स्पर्म सेल्स
की क्षमता प्रभावित होती है।
'एंडोस्रिन डिस्रप्ट' शोध के अंतर्गत, पुरुषों की गिरती शुक्राणु
संख्या और इनफर्टिलिटी के कारणों की खोज की जा रही है। कुछ मामलों में देखा
गया कि ये केमिकल्स, फीमेल सेक्स हार्मोन्स 'ऑस्ट्रोजेन्स' और कई बार
एंटी-एंड्रोजेन्स (मेल हार्मोन्स) की तरह व्यवहार करते हैं। जो कि पुरुषों
में नपुंसकता बढ़ाने का मुख्य कारण है।
वैज्ञानिकों ने तीन में से एक घरेलू उत्पाद में ही ऐसे तत्व पाए जो कि
शुक्राणुओं के व्यवहार में बदलाव लाने और प्रीमेच्योर रिलीज के लिए
जिम्मेदार हैं। इनमें सन स्क्रीन्स, डिटर्जेंट और प्लास्टिक उत्पाद शामिल
हैं। इन उत्पादों में मिलाए गए जहरीले रसायन, शुक्राणुओं द्वारा अण्डों के
निषेचन की क्षमता को प्रभावित करते हैं, जिसे सीधे तौर पर पुरुष नपुंसकता
कहा जा सकता है।
इस शोध से जुड़े हुए कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के प्रोफेसर
नील्स शकेबाएक ने बताया, "पहली बार हमें इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स और
एंडोस्रिन डिस्रप्ट केमिकल्स के बीच संबंधों के बारे में मालूम चला है।
शुक्राणुओं के व्यवहार पर इसका बुरा असर पड़ रहा है।"
उन्होंने बताया, "शुक्राणुओं की क्षमता प्रभावित करने वाले केमिकल्स
हमारी सोच से भी ज्यादा खतरनाक हैं। हालांकि, यह निष्कर्ष किसी बाहरी शोध
में सामने आया है, जो कि हमारे शोध से अलग है। अमूमन इन प्रोडक्ट्स के
थोड़े बहुत नुकसान के बारे में सबको मालूम है।"
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