आपका-अख्तर खान

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18 मई 2014

मुझे पढ़ने वाले मुझ से पूंछते है तुम किधर हो

मेरे अल्फ़ाज़ों के
कभी इधर
कभी उधर
रुहझान को देख कर
मुझे पढ़ने वाले
मुझ से पूंछते है
तुम किधर हो
इधर हो
या उधर हो
मेरे दोस्तों
मेरे भाइयों
में ना इधर हूँ
में न उधर हूँ
तुम्हारे दिलों में हूँ
मेरे हिन्दुस्तान
मेरे भारत महान की तरफ में हूँ
मेरे देश की जनता की तरफ  में हूँ
में   ना इधर हूँ
में न उधर हूँ
में खुश हूँ
में मेरे हिन्दुस्तान की तरफ हो
सच है जिधर में हूँ
ना धर्म  न मज़हब
ना सियासी पार्टियां
में ना इधर हूँ
में ना उधर हूँ
बस  मेरे मुल्क की खुशहाली
मेरे मुल्क की हिफाज़त
मेरे मुल्क के सुकून की तरफ
हां में मेरे मुल्क के साथ
 मेरे मुल्क की तरफ हूँ
फिर कोई सोचे
में किधर हूँ
इन सवालों से
मुझे बेचैनी नहीं होती
सोचता हूँ इधर उधर रहने  वालों के लिए
काश वोह भी इधर उधर की बात  ना करे
मेरे साथ आये
मेरे मुल्क की सिर्फ मेरे मुल्क की बात करे ,,अख्तर

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