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17 अप्रैल 2014

काशी में केजरीवाल ने जनता से की भावनात्‍मक अपील- भगोड़ा मत कहिए मुझे

 



नई दिल्‍ली. क्‍या आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को भी पूरी तरह अहसास हो गया है कि वह अपनी इमेज की समस्‍या से जूझ रहे हैं? कम से कम वाराणसी की जनता से की गई उनकी अपील से तो ऐसा ही लगता है। वाराणसी में लोगों को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा देने की वजह से उनको भगोड़ा कहना ठीक नहीं है। गौरतलब है कि इससे पहले केजरीवाल खुद ही स्‍वीकार कर चुके हैं कि इस्‍तीफा देने का उनका फैसला पूरी तरह ठीक नहीं था और सत्‍ता छोड़ने से पहले उन्‍हें लोगों की राय लेनी चाहिए थी। पद छोड़ने के बाद से ही केजरीवाल की चौतरफा निंदा हो रही है और लोग उन्‍हें भगोड़ा कह रहे हैं।
 
केजरीवाल ने वाराणसी में कहा, 'पद छोड़ने से पहले हमें लोगों से सलाह लेनी चाहिए थी। वह हमारी गलती थी। चुनाव के बाद सरकार बनाने से पहले हमने लोगों से राय ली थी, इसलिए पद छोड़ने से पहले भी अगर हम लोगों से राय लेते तो वह ज्‍यादा अच्‍छा होता। लेकिन पोस्‍टरों के जरिए मुझे भगोड़ा कहना कहीं से ठीक नहीं है। इस पोस्‍टरों को बीजेपी की तरफ से लगाया गया था। मैं अब यहां आ गया हूं और भाजपा और कांग्रेस की मुसीबतें बढ़ाऊंगा।'
मजाक उड़ाने वाले पोस्‍टरों से हुआ था केजरीवाल का बनारस में स्‍वागत
 
नरेंद्र मोदी को कड़ी टक्‍कर देने की खातिर अरविंद केजरीवाल जब वाराणसी में डेरा जमाने पहुंचे थे तो उनका स्‍वागत खास अंदाज में हुआ था। शहर में उनका मजाक उड़ाने वाले कई पोस्‍टर लगे हुए थे, जिन पर दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा देने के उनके फैसले पर निशाना साधा गया था। इनमें कहा गया कि देखो-देखो दिल्‍ली का भगोड़ा आया। केजरीवाल दिल्‍ली से सोमवार को शिवगंगा एक्‍सप्रेस से वाराणसी के लिए रवाना हुए थे और मंगलवार सुबह पहुंचे थे।
केजरीवाल की अपील पर 'आप' को मिला 80 लाख का चंदा
 
आम आदमी पार्टी के लिए चंदा जुटाने के मामले में अरविंद केजरीवाल का असर एक बार फिर दिखा है। चंदा देने की अपील करने वाले केजरीवाल के एक ट्वीट पर लोगों ने पार्टी को 24 घंटे के भीतर 80 लाख रुपए दिए। दरअसल, वाराणसी पहुंचने के बाद केजरीवाल ने ट्वीट किया था, वाराणसी पहुंच गया। 20 को अमेठी जाऊंगा। मोदी और राहुल से लड़ने की खातिर ईमानदारी के पैसे की जरूरत होगी। अगर आप मुझे चंदा देना चाहते हैं तो मैसेज कीजिए। उनके इसी ट्वीट का जबर्दस्‍त असर हुआ और पार्टी को तगड़ा चंदा मिला।
 
चंदे के तौर पर मिले 80 लाख रुपए में से 16 लाख रुपए सिर्फ उत्‍तर प्रदेश से मिले हैं। इसमें 2 लाख 10 हजार रुपए अमेठी से और ढाई लाख रुपए वाराणसी से मिले हैं। पार्टी को बतौर चंदा जो न्‍यूनतम रकम मिली है वह एक रुपया है तो अधिकतम रकम के तौर पर 50 लाख रुपया मिला है। चंदा देने वालों में ज्‍यादातर दिल्‍ली, कर्नाटक, महाराष्‍ट्र, उत्‍तर प्रदेश और राजस्‍थान से हैं। विदेश से चंदा देने वालों में यूएई, अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के लोग हैं।
पैसे की कमी से 'आप' के कैंडिडेट्स भी पड़ गए सुस्‍त
 
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में करीब 19 करोड़ रुपए खर्च किए थे। पार्टी की योजना थी कि लोकसभा चुनाव में 300 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए करीब 300 करोड़ रुपए जुटाए जाए, लेकिन वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाई। लोकसभा चुनावों में 'आप' कैंडिडेट्स की संख्या 400 के पार पहुंच गई है। इसके बाद पार्टी ने अपना फंड जुटाने का लक्ष्‍य घटाकर 100 करोड़ रुपए किया, लेकिन पार्टी यहां तक भी नहीं पहुंच पाई है। दिल्ली चुनाव के बाद से अब तक पार्टी को करीब 28 करोड़ रुपए का फंड मिला है।
 
कैंडिडेट्स भी पड़ गए सुस्त
 
माना जा रहा है कि फंड की कमी के चलते ही फर्रुखाबाद, एटा, आगरा और अजमेर के उम्मीदवारों ने मैदान छोड़ा है। उम्मीदवारों का कहना था कि पार्टी से कुछ मदद नहीं मिल रही है।
फंड इस्तेमाल के तरीके पर सवाल
पार्टी के राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्‍य इलियास आजमी का कहना है कि फंड का कैसे इस्तेमाल होना है, इस पर किसी की राय नहीं ली जा रही है। बस एक-दो लोग ही सब तय कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के कैंडिडेट्स को पार्टी ने मदद की, लेकिन यूपी के ज्यादातर कैंडिडेट्स को पांच रुपए भी नहीं दिए जा रहे हैं। ऐसे में प्रचार कैसे हो सकता है और बिना प्रचार के जीत की उम्मीद करना बेमायने है।
घाटों का शहर कहे जाने वाले वाराणसी में 12 मई को मतदान होना है। यानी पार्टी के पास अभी प्रचार के लिए काफी समय है। केजरीवाल 22 अप्रैल को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। आम आदमी पार्टी बनारस में भी दिल्ली के तर्ज पर प्रचार करेगी। पार्टी डोर-टू-डोर कैंपेन, रोड शो और जनसभाओं के जरिए समर्थन जुटाएगी। स्वयंसेवकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सीधे तौर पर स्थानीय लोगों से संपर्क बनाएं। मतदाताओं को समूहों के आधार पर बांटकर प्रचार करें, जैसे बुनकरों के लिए अलग से, रेहड़ी-पटरी वालों के लिए अलग से प्रचार योजना बनाकर काम करें। बनारस की चार विधानसभा सीटों को बांटकर विशेष रणनीति के तहत प्रचार करें।

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