आपका-अख्तर खान

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12 अप्रैल 2014

में तो खिलौना हूँ

में तो
खिलौना हूँ
दूसरों से जब भी
दिल भर जाये
जब भी तुम्हारा दिल घबराये
मुझ से तुम
खेल लेना
में तो खिलौना हूँ
कभी गिराना
कभी तोड़ना
कभी मोड़ना
में तो खिलोना हूँ
जब भी दिल घबराये
मुझ से
अपना दिल बहलाना
मुझ से
हमेशा की तरह
जैसे खेलते आये हो
खेल लेना
दिल भर जाए अगर
फिर कोई आजाये अगर
मुझे उठाना
या तो अलमारी में सजा देना
या फिर तोड़ देना
में तो खिलौना हूँ
जब भी दिल घबराये
मुझ से खेल लेना
में तो खिलोना हूँ ,,,,,,,

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