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23 अप्रैल 2014

मोदी के नामांकन भरते ही पत्‍नी को धोखे से उठवाया और रामदेव के आश्रम भिजवाया



नई दिल्‍ली. अंग्रेजी मैगजीन वीक ने अपने ताजा अंक (जो 27 अप्रैल को बाजार में आएगी) में सनसनीखेज दावा किया है। मैगजीन ने कहा है कि नरेंद्र मोदी ने वडोदरा में नामांकन के दौरान अपनी पत्‍नी जशोदाबेन की जानकारी देने के तुरंत बाद कुछ लोग उनके घर भेज दिए, ताकि उन्‍हें लोगों की नजरों से दूर रखा जा सके। मैगजीन ने विश्‍व हिंदू परिषद के सूत्रों के हवाले से कहा है कि नामांकन के तुरंत बाद कुछ विहिप कार्यकर्ता और सुरक्षाकर्मी तीर्थयात्रियों के वेश में तीन सफेद एसयूवी में सवार होकर जशोदाबेन के घर पहुंचे थे।

जशोदाबेन के घर पहुंचे इन लोगों ने उनसे कहा कि चार धाम की यात्रा करने का उनका सपना पूरा होने वाला है। सूत्रों के मुताबिक, ये लोग जशोदाबेन को अहमदाबाद ले गए, जहां से वह एक चार्टड प्‍लेन पर सवार होकर यूपी और उत्तराखंड की सीमा पर औरंगाबाद गईं। इसके बाद वह ऋषिकेश स्थित रामदेव के आश्रम चली गईं। आश्रम में काम करने वालों का कहना है कि 13 अप्रैल को एक महिला सफेद गाड़ी में सवार होकर आई थी।

मैगजीन के मुता‍बिक, जशोदाबेन की सुरक्षा में गुजरात सिक्‍युरिटी के उच्‍च अधिकारी थे। शायद उनको यह भी नहीं पता कि उनके साथ मौजूद ये लोग तीर्थयात्री नहीं हैं, बल्कि उन्‍हें लोगों की नजरों से जशोदाबेन को दूर ले जाने के लिए तैनात किया गया है। मैगजीन के मुताबिक, यह जानकारी द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्‍वामी स्‍वरूपानंद सरस्‍वती के एक करीबी ने दी है। सरस्‍वती ने हाल में ही मोदी के खिलाफ बयान दिया था।
शादी नहीं करना चाहते थे मोदी'
मैगजीन का कहना है कि नरेंद्र मोदी शादी के प्रति अनिच्‍छुक थे। मैगजीन के मुताबिक, वडनगर में श्री बीएन हाईस्कूल में मादी के साथ पढ़ने वाले नागजी देसाई कहते हैं, ' शादी से एक साल पहले मोदी और जशोदा की सगाई हो गई थी। मोदी ने जशोदा से कभी बात नहीं की। मोदी हमेशा कहते रहते थे कि वह देश की सेवा करना चाहते हैं और शादी में उनकी कोई रुचि नहीं है।' नागजी देसाई आज 64 साल के हैं और वडनगर में ही आयुर्वेद डॉक्‍टर के तौर पर काम करते हैं। मोदी की शादी में शरीक हुए देसाई बताते हैं कि आयोजन बेहद साधारण था।
शादी के अगले दिन ही मोदी ने छोड़ा घर
मैगजीन ने नागजी के हवाले से बताया है कि जशोदा मोदी के साथ वडनगर लौट गईं, जहां मोदी की मां ने दोनों का कुमकुम लगाकर स्‍वागत किया। इसके बाद, शादी के दौरान बांधी जाने वाली गांठ को खोलने की रस्‍म हुई। फिर पति और पत्‍नी ने गेम खेला, जिसमें दूध के बर्तन में अगूंठी तलाशनी होती है। इस खेल में नरेंद्र मोदी को जीत मिली थी। नागजी के मुताबिक, जशोदा के लिए यह एक खुशनुमा दिन था, लेकिन अगले ही दिन सभी हैरान रह गए। खबर मिली कि सुबह की ट्रेन से नरेंद्र मोदी अहमदाबाद चले गए हैं। इसके बाद मोदी करीब 30 साल बाद वापस लौटे।मैगजीन के मुताबिक, मोदी की ओर से नामांकन में नाम जाहिर किए जाने के बाद जशोदाबेन को लेकर भले ही चर्चाएं हो रही हों, लेकिन उनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। जशोदा अपने भाई कमलेश के साथ रहती हैं। कमलेश के घर के बाहर की दीवारों पर हिंदू देवी देवताओं की तस्‍वीर से यह जाहिर होता है कि‍ जशोदाबेन और पूरा परिवार बेहद धार्मिक है। जशोदाबेन जिस प्राइमरी स्‍कूल से 2010 में रिटायर हुईं, वहां के स्‍टूडेंट के बीच वह बेहद लोकप्रिय रहीं। जशोदा वहां सामाजिक विज्ञान, गणित और गुजराती भाषा पढ़ाती थीं। स्‍कूल की तस्‍वीरों में वह स्‍टूडेंट्स से घिरी नजर आती हैं, जिनमें अधिकतर मु‍सलमान हैं। एक गांववाले ने बताया कि जशोदा सुबह बहुत जल्‍दी उठ जाती थीं और गायों को रोटियां और चारा खिलाकर ही स्‍कूल जाती थीं। आखिर जशोदाबेन के पास क्‍यों नहीं जाते मोदी के विरोधी
मैगजीन के मुताबिक, इतने सारे विवादों के बावजूद ऐसा लगता है कि मोदी की विरोधी पार्टियां जशोदाबेन तक पहुंचना नहीं चाहतीं। इसकी एक वजह यह है कि इन पार्टियों को डर है कि कहीं जशोदाबेन खुलकर मोदी के पक्ष में न आ जाएं। जशोदाबेन की रिश्‍तेदार दक्षा मोदी का कहना है कि जशोदाबेन मोदी को रोजाना टीवी पर देखती हैं और प्रार्थना करती हैं कि वह पीएम बनें। दक्षा को इस बात का भरोसा है कि अगर जशोदाबेन को कोई खजाना भी दे दे तो भी वह मोदी के विरोध में एक शब्‍द नहीं कहेंगी। मोदी की जिंदगी का पूरा सफर

17 सितंबर 1950 : अहमदाबाद से 100 किमी उत्तर में स्थित वडनगर में मोदी का जन्‍म।

1950 से 60 तक : वडनगर और अहमदाबाद में पढ़ाई, एक चाय के दुकान पर काम किया।

1968 : जशोदाबेन से शादी की, लेकिन आरएसएस जॉइन करने के लिए पत्‍नी को छोड़ा, मणिनगर स्थित आरएसएस मुख्‍यालय पर रहने लगे।

70 के दशक में : जशोदाबेन ने एसएसी की परीक्षा पास, टीचर्स ट्रेनिंग 1976 में पूरी की और दो साल बाद पढ़ाने लगीं।

1987 : मोदी ने बीजेपी जॉइन की। पार्टी ने नगरपालिका के चुनावों में जीत दर्ज की और मोदी साल भर में राज्‍य महासचिव बन गए।

1990 - आडवाणी की रथयात्रा के दौरान मोदी ने अहम भूमिका निभाई

1995 : गुजरात में बीजेपी ने पहली बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की।

1998 : राज्‍य में मिड टर्म चुनाव हुए और बीजेपी सत्‍ता में लौटी ।

2001: मोदी गुजरात के मुख्‍यमंत्री बने

2002 : गोधरा में ट्रेन जलाए जाने के बाद दंगा भड़का। कम से कम 1200 लोग मारे गए। वाजपेयी मोदी को हटाना चाहते थे, लेकिन आडवाणी और जेटली ने उनकी कुर्सी बचाई। विधानसभा चुनावों में बीजेपी को जीत मिली।

2005 : अमेरिका ने मोदी को वीजा देने से इनकार किया।

2007 : गुजरात में दूसरी बार मोदी की सरकार बनी।

2008 : मोदी की कोशिशों से टाटा का प्रोजेक्‍ट बंगाल से गुजरात शिफ्ट हुआ।

2009 : सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जांच दल को आदेश दिया कि वह गुलबर्गा सोसाइटी नरसंहार में मोदी की भूमिका की जांच करे।

2010 : विशेष जांच दल ने शिकंजा कसा, मोदी के करीबी फर्जी एनकाउंटर मामले में अमित शाह गिरफ्तार हुए।

2011 : मोदी को एसआईटी की ओर से क्लीनचिट मिली।

2012 : मोदी को गुजरात विधानसभा चुनावों में तीसरी बार जीत मिली

जून 2013: लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बीजेपी चुनावी अभियान कमिटी के अध्‍यक्ष

सितंबर 2013 : बीजेपी के पीएम पद के कैंडिडेट चुने गए

अप्रैल 10, 2014: चुनावी हलफनामे में मोदी ने पहली बार जशोदाबेन को पत्‍नी माना।

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