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10 अप्रैल 2014

ऐ सियासत तुझे नमन

ऐ सियासत तुझे नमन
यह नेता है ,,
कुर्सी के लालच में
फिर इन्होने मुझे
पत्नी बनाया है
ऐ सियासत तू ही बता
सियासी दांव पेंच में कामयाबी के बाद
क्या मेरा पत्नी का
क्या मेरा  औरत होने का
यह सम्मान फिर बाक़ी रहेगा
क्या में विवाहिता होने के बाद भी
अलग थलग अकेली ज़िंदगी गुज़ारूंगी
या फिर यह संस्कृति का देश
यह संस्कृति की रक्षा करने वाला संगठन
यह संस्कृति के लिए समर्पण की बात करने वाला जमावड़ा
क्या मुझे पत्नी होने का सारा सुख दिल पायेगा ,,
ऐ सियासत तू ही बता
क्या में यूँ ही त्याग की देवी रहूंगी
ऐ सियासत तू ही बता
कागज़ों में कभी मुझे
पत्नी का दर्जा नहीं देने वाले
कागज़ों में सियासत की मजबूरी से पत्नी का दर्जा देने वाले
क्या मुझे निभाएंगे
ऐ सियासत तू ही बता
यह संस्कृति के रक्षक
यह महिलाओं की अस्मिता के सो कोल्ड सरक्षक
क्या मुझे मेरा सम्मान फिर से लोटायेने
ऐ सियासत तू ही बता
क़ानून की मज़बूरी
कुर्सी के लालच में
जो नाटक जो ड्रामे हुए है
क्या यह सब स्थाई रह पाएंगे
ऐ सियासत तू ही बता
क्या यह लोग मुझे मेरा योवन मेरा सम्मान वापस लोटायेंग
ऐ सियासत तू ही बता
मेरा क्या होगा
में एक औरत हूँ
में एक संस्कृति हूँ समर्पित हूँ
ऐ सियासत ऐ कुर्सी के लालच
मुझे ज़रा मेरा क़ुसूर तो बता
ऐ सियासत मुझे मेरा हक़ तो दिला ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर

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