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25 अप्रैल 2014

550 साल पुरानी अजीबोगरीब ममी, आज भी बढ़ते हैं बाल और नाखून!



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शिमला. यूं तो दुनिया में कई हैरान कर देने वाले तथ्य और बातें मौजूद हैं, लेकिन जब यह सबकुछ हमारे आसपास ही हो तो उत्सुकता कई गुना बढ़ना लाजमी है। हिमाचल का गियू गांव भी कुछ ऐसा ही है। साल में 5 से 8 महीने बर्फ से ढ़के रहने वाले इस गांव पर प्रकृति ने तो बेइंतहा नेमतें बरसाई ही हैं, एक हैरतंगेज ममी ने भी इस गांव की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है। आज देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग भारत-तिब्बत सीमा पर बसे इस गांव में ममी को देखने के लिए पहुंचते हैं।
किसी भी इंसान कि मौत के बाद उसके शव को केमिकल्स से संरक्षित करके ममी बनाई जाती है, यह विधि प्राचीन मिस्त्र सभ्यता में बड़े पैमाने पर अपनाई जाती थी। मिस्त्र के अलावा दूसरे देशो में भी शवों की ममी बनाई गयी है, जैसे कि इटली का कापूचिन कैटाकॉम्ब जहां पर सदियो पुराने 8000 शवो को ममी बनाकर रखा गया है, लेकिन विश्व में अनेक जगह प्राकृतिक ममी भी पायी गई हैं। जी हां बिना किसी केमिकल के संरक्षित किए सदियों पुराने ऐसे शव जो आज भी सामान्य अवस्था में है।
ऐसी ही कुछ ममी हमारे भारत में भी है जिसमें से एक गोवा के बोम जीसस चर्च में रखी संत फ्रांसिस जेवियर कि ममी मशहूर है, लेकिन हम आपको एक और ऐसी ममी के बारे में बताएंगे जो कि हिमाचल में लाहुल स्पीती के गीयू गांव में मौजूद है। यह ममी लगभग 550 साल पुरानी बताई जाती है। इस ममी के बाल और नाख़ून आज भी बढ़ रहे है। एक खास बात और भी है कि ये ममी बैठी हुई अवस्था में है जबकि दुनिया में पायी गई तमाम बाकी ममीज लेटी हुई अवस्था में मिली हैं। गीयू गांव साल में 6 से 8  महीने तक बर्फ की वजह से बाकी दुनिया से कटा रहता है। इतना ही नहीं गियू गांव तिब्बत से मात्र 2 किलोमीटर दूर है।
1995 में आईटीबीपी के जवानों को मिली ममी
गांव वालो के अनुसार ये ममी पहले गांव में ही रखी हुई थी और एक स्तूप में स्थापित थी पर 1974 में भूकम्प आया तो ये कहीं पर दब गयी। उसके बाद सन 1995 में आईटीबीपी के जवानों को सड़क बनाते समय यह ममी मिली थी। गीयू के ग्रामीण बताते हैं कि खुदाई के दौरान ममी के सिर में कुदाल के बाद ममी के सिर से खून भी निकला जिसका निशान आज भी मौजूद है। इसके बाद सन 2009 तक ये ममी आईटीबीपी के कैम्पस में ही रखी रही। बाद में गांव वालो ने इस ममी को गांव में लाकर स्थापित कर दिया। ममी को रखने के लिए शीशे का एक कैबिन बनाया गया है, जिसमें इसे लोगों के देखने के लिए रखा गया है। इस ममी की देखभाल गांव में रहने वाले परिवार बारी-बारी से करते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को वे ममी के बारे में जाकारी देते हैं। सालाना यहां पर देश विदेश के हजारों पर्यटक इस मृत देह को देखने आते हैं।
 
इस ममी के बाल भी हैं। ममी निकलने के बाद इसकी जांच की गयी थी जिसमें वैज्ञानिको ने बताया था कि ये 545 वर्ष पुरानी है, पर इतने साल तक बिना किसी लेप के और जमीन में दबी रहने के बावजूद ये ममी कैसे इस अवस्था में है ये आज तक आश्चर्य का विषय बना हुआ है।

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