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14 मार्च 2014

दोहरे चेहरे: इन नेताओं के पास है संपत्ति अपार पर किसी पास नहीं है कार



नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। 13 साल से गुजरात के मुख्यमंत्री हैं। कारों के काफिले में चलते हैं। लेकिन उनमें से खुद की एक भी नहीं है। राहुल गांधी के साथ तो और भी गजब है। अकसर दो करोड़ रुपए वाली लैंड रोवर में दिखते हैं। लेकिन घोषित संपत्ति में एक भी कार नहीं है। देश के वोटर यह जानकर चौंक सकते हैं कि अपार धन-संपदा वाले हमारे कई नेताओं के पास तो कार ही नहीं है।
वेबसाइट हफिंगटन पोस्ट ने सोनिया की संपत्ति 12.5 हजार करोड़ बताई थी
दुनिया के सबसे अमीर नेताओं की सूची में 12वें स्थान पर रखी गईं सोनिया देश में हवाई यात्राओं में सरकारी प्लेन और एअरफोर्स प्लेन का इस्तेमाल किया।
सफर सरकारी गाडिय़ों से ही
दिल्ली में सोनिया सरकारी वाहन यानी सफारी या एम्बेसेडर से ही सफर करती हैं। दूसरे शहरों में भी ये ही गाडिय़ां उपयोग में आती हैं।
333 ग्राम राहुल के जेवर 2004 में भी 1.25 लाख रुपए के 2009 में भी !
देश के दूसरे शहरों में आने-जाने के लिए राहुल गांधी ज्यादातर ढाई लाख रुपए प्रतिघंटा किराए वाले प्रायवेट जेट का ही इस्तेमाल करते हैं। जिसका शेड्यूल और भुगतान गोपनीय रखे जाते हैं। वे इसी से रायबरेली और फिर अमेठी जाते हैं।

अक्सर लैंड रोवर में नजर आते हैं
राहुल गांधी की घोषित संपत्ति में भले ही कार न हो, लेकिन दिल्ली में वे अकसर दो करोड़ रुपए की एसयूवी लैंड रोवर में नजर आते हैं।
मोदी की संपत्ति ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, केजरीवाल से कम
आम आदमी पार्टी के कैप्टन गोपीनाथ कहते हैं- मोदी के पास भले ही कार न हो, लेकिन पिछले चार महीनों में मोदी की हवाई यात्राओं पर 4 करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुका है।
स्कॉर्पियो और सफारी का काफिला
मोदी के काफिले में ज्यादातर सफारी और स्कॉर्पियो गाडिय़ा हैं। वे पटना और गोवा में सभा करने गए तो उनकी बुलेटप्रुफ कारें भी गईं।
1.75 करोड़ रुपए के टेलिकॉम घोटाले के प्रमुख आरोपी के पास भी कार नहीं!
मारन परिवार के बाहर करुणानिधि के सबसे भरोसेमंद राजा पर भले ही आरोप हो कि उन्होंने अपने कई लोगों के कालेधन को इधर-उधर कराया। लेकिन घोषित संपत्ति के अनुसार न तो उनके और न ही उनकी पत्नी एमए परमेश्वरी के पास कोई गाड़ी है।

राजनीति में आए तो मर्सिडीज, पहले था लम्ब्रेटा
दिल्ली में राजा के पास भले ही मर्सिडीज और टोयोटा की आलीशान कारें रही हों, लेकिन राजनीति में आने से पहले वे वकालत करते थे और लेम्बरेटा पर ही आते-जाते थे।

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