ग्वालियर. नगर निगम के हेल्थ ऑफिसर व चिडिय़ाघर प्रभारी को
लोकायुक्त पुलिस ने गुरुवार को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया।
लोकायुक्त अमले ने फुटपाथ पर ही एचओ डॉ. एसके मित्तल के हाथ धुलवाकर फोटो
भी खिंचवा दिए। एचओ को निगम के जेड ओ ने पकड़वाया।
वहीं निगम के डीडी नगर कार्यालय पर लोकायुक्त ने एक टीसी को रिश्वत
लेते पकड़ा, जबकि इसका एक साथी भाग गया। कार्रवाई के बाद एचओ को मूल विभाग
के लिए भारमुक्त कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग का प्रभार कार्यपालन यंत्री
अतिबल सिंह को सौंपा गया है। टीसी को सस्पेंड कर दिया गया।
नगर निगम के चर्चित हेल्थ ऑफिसर डॉ. एसके मित्तल को लोकायुक्त पुलिस
ने चिडिय़ाघर के बाहर सड़क पर छह हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़ लिया। डॉ.
मित्तल निगम के ही क्षेत्रीय अधिकारी (जेडओ) अजय गुप्ता से नाला सफाई के
कार्यों के बिल समायोजन के लिए रिश्वत ले रहे थे। यह बिल 1.90 लाख रुपए का
था, जो अब 70 हजार 400 रुपए का बचा था। बिल समायोजन न होने पर जेडओ के पीएफ
से रुपए काटे जा रहे थे।
बिल समायोजन के लिए डॉ. मित्तल पूर्व में भी 18 हजार रुपए की रिश्वत
ले चुके थे। अजय गुरुवार सुबह मॉल के पास खड़े थे और लोकायुक्त अमला कुछ
दूरी पर। डॉ. मित्तल ने चिडिय़ाघर आते ही अजय को इशारे से अपने पास बुलाया
और छह हजार रुपए लेकर कार में रख दिए। वे वहां से निकल पाते उससे पहले ही
लोकायुक्त टीम ने उन्हें पकड़कर फुटपाथ पर ही हाथ धुलवा लिए। बताया गया है
कि निगम के जो जेडओ रिश्वत दे रहे थे वह भी शिकायतों के चलते तीन बार
सस्पेंड हो चुके हैं।
डॉ. एसके मित्तल (हेल्थ ऑफिसर व चिडिय़ाघर प्रभारी): वर्ष 2000
में पशु चिकित्सा विभाग से निगम में पशु चिकित्सक के रूप में तीन वर्ष के
लिए प्रतिनियुक्तिपर आए थे। इनकी मूल विभाग में वापसी के प्रयास हुए लेकिन
जोड़तोड़ कर वह बने रहे। इन्हें फिर चिडिय़ाघर प्रभारी व स्वास्थ्य अधिकारी
का प्रभार सौंप दिया गया।
रामनारायण बंसल (टीसी): निगम में वर्ष 1999 में चतुर्थ श्रेणी
के पद पर नियुक्तिहुई। गत दो वर्ष से डीडी नगर क्षेत्रीय कार्यालय में
पदस्थ हैं। निगम अफसरों के पास पूर्व में भी इनकी शिकायतें पहुंची लेकिन
क्षेत्र बदलने से ज्यादा और कोई कार्रवाई नहीं की गई।
दो हजार रुपए लेते पकड़ा गया टीसी
इस कार्रवाई के एक घंटे के बाद लोकायुक्तकी दूसरी टीम ने डीडी नगर में
निगम के क्षेत्रीय कार्यालय में टीसी रामनारायण बंसल को दुकान नामांतरण के
लिए दो हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। वह डीडी नगर के
अटल नगर स्थित इंदर भाटिया की दुकान के नामांतरण के लिए 2000 रुपए की
रिश्वत ले रहे थे। दो साल पहले भी रामनारायण बंसल इंदर से इसी दुकान का
नामांतरण पत्नी निर्मला के नाम करने के लिए 3000 हजार रुपए ले चुके थे।
इंदर अपनी पत्नी की मौत के बाद बीते लगभग डेढ़ माह से अपने नाम नामांतरण के
लिए चक्कर लगा रहे थे।
शिकायत का नहीं होता असर
जेडओ अजय गुप्ता ने बिल समायोजन न होने पर पीएफ से काटे जाने और डॉ.
मित्तल द्वारा परेशान किए जाने की शिकायत अधिकारियों से भी की थी। जब श्री
गुप्ता से पूछा कि क्या रिश्वत मांगे जाने की शिकायत विभाग के अफसरों से की
थी तो उन्होंने कहा कि अधिकारियों को जानकारी थी।
अखबार की कटिंग रखी, एसपी से शिकायत
इंदर भाटिया ने बताया कि मोचीओली में नामांतरण के लिए रिश्वत लेते हुए
पकड़े गए टीसी की अखबार में छपी खबर की कटिंग अपने पास रख ली थी। इसमें
लोकायुक्त एसपी का नंबर था। जब टीसी रामनारायण बंसल बिना रिश्वत नामांतरण
करने को तैयार नहीं हुआ तब उन्होंने एसपी संतोष सिंह गौर को फोन पर सूचना
दी। उन्होंने ऑफिस का पता बताकर पहुंचने को कहा और टीसी फंदे में फंस गया।
80 फीसदी शिकायतें तीन विभागों की
निगम में भ्रष्टाचार व आवेदन लंबित होने की सबसे ज्यादा शिकायतें भवन
शाखा, संपत्ति कर शाखा व नामांतरण शाखा से ही आती हैं। उच्च पदस्थ विभागीय
अफसरों के अनुसार 80 फीसदी शिकायतें इन्हीं शाखाओं की हैं।
शुरू करेंगे गोपनीय शाखा
निगम में रिश्वत की शिकायतों के लिए कोई अलग सेल नहीं है। आयुक्त
विनोद शर्मा ने बताया कि अब भ्रष्टाचार की शिकायतों के लिए गोपनीय सेल
बनाने पर विचार करेंगे। यह सेल आयुक्त के अधीन काम करेगा।
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