आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

03 मार्च 2014

बच्चे का एग्जाम देने पहुंचे परिवार वालें, लाठी के जोर पर कराई गई नकल


भिंड(मध्यप्रदेश). एक्‍जाम टाइम शुरू हो गया है, सीबीएससी से लेकर स्टेट बोर्ड की परीक्षाओं का दौर चल रहा है। कुछ बच्चे कड़ी मेहनत करके परीक्षा में सफल होते हैं तो कई स्‍टूडेंट पढ़ाई पर कम और नकल के तरीकों पर भी दि‍माग दौडा़ते हैं। पढ़ाई से बचने के लिए बच्चे नकल करने में ज्यादा जोर देते हैं। मध्यप्रदेश के भिंड शहर में जमकर नकल कराई गई। हाईस्कूल के पहले पेपर में नकल माफिया ने परीक्षा केंद्रों पर कब्जा कर लिया। माफिया ने केंद्राध्यक्ष, सहायक केंद्राध्यक्ष और पर्यवेक्षकों को पहले तो धमकी दी, फिर भी उन्होंने नकल से रोका तो पीटा गया। कुछ जगह केंद्राध्यक्षों ने एसडीएम से शिकायत की है कि एक कॉपी को चार-चार लोगों ने लिखा है। इसके अलावा भिंड तहसीलदार आरएन सिकरवार ने भी एसडीएम से कहा कि बच्चों की कॉपी को उनके परिजन ने लिखा है। एक कॉपी में चार-चार हेंड राइटिंग हैं। जब पुलिस ने नकल माफिया को बाहर निकालने की कोशिश की तो जवाब में पथराव किया गया। पुलिस ने एक लट्ठधारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। कलेक्टर ने लापरवाही बरतने वाले दो सहायक केंद्राध्यक्षों को निलंबित कर दिया है। साथ ही सामूहिक नकल वाले कनेरा परीक्षा केंद्र का 10 वीं का संस्कृत का पर्चा निरस्त कर दिया गया है। परीक्षा में कुल 73 नकलची पकड़े गए। 
 
नकल के लिए बना 'मैजिक पेन'
 
बच्चे नकल करने के लिए ऐसे-ऐसे एक्‍सपेरिमेंट्स करते हैं जो बड़े-बड़े न समझ पाएं। परीक्षा में काम आने वाली जरूरी चीजों को बच्चे नकल करने का यंत्र बना लेते हैं। बच्चों के खेलने वाले 'मैजिक पेन' भी नकल में बहुत कारगर हो रहे हैं। इनकी खासियत यह होती है कि इनसे लिखने के बाद कुछ भी नहीं दिखता। यह तभी दिखता है जब 'अल्ट्रा वॉयलेट' लाइट की रोशनी उस पर पड़ती है और इसके लिए पेन के ऊपर एक छोटे-सा बल्ब भी मौजूद होता है। विद्यार्थी अपनी डेट शीट, रोल नंबर या क्लिप बोर्ड पर इससे लिखकर निडर होकर नकल करते हैं और किसी को कोई शक भी नहीं होता क्योंकि मामला बिल्कुल 'साफ' होता है।
 
चिटों की 'मिनीमाइज फोटो-कॉपी'
 
नकल के पुराने तरीके में फर्रे, पर्ची या 'चिट' बनाकर उन पर बारीक अक्षरों में लिखा जाता था ताकि कम जगह में नकल की ज्यादा सामग्री आ सके लेकिन अब यहां भी नकल की हाई टेक तकनीकें काम आ रहे हैं। इसके लिए विद्यार्थी अपने काम की सामग्री को गाइड और किताबों से काट-काट कर उनके टुकड़ों को एक खाली कागज पर चिपका लेते हैं और उसकी कई 'मिनीमाइज फोटो-कॉपी' करा कर आपस में बांट लेते हैं। फिर अपनी जरूरत के हिसाब से काट कर छिपा लिया जाता है। नकल के इस तरीके में नकलची विद्यार्थियों को छोटी-छोटी चिटों पर छोटे-छोटे लेख में नहीं लिखना पड़ता। इससे उनका वक्त और मेहनत बच जाती है।
 
यहां भी काम आती है तकनीक
 
अपने स्थान पर किसी और को या किसी और के स्थान पर खुद बैठकर परीक्षा देने के मामले में भी नवीन तकनीकों का सहारा लिया जाने लगा है। इसके लिए जहां पहले नकली पहचान-पत्र और प्रवेश-पत्र आदि तैयार करवाने के लिए स्कूल-कॉलेज के लोगों पर ही निर्भर रहना पड़ता था, वहीं अब कलर लेजर प्रिंटर जैसे उपकरणों ने यह काम भी आसान कर दिया है। इसके अलावा काम करने-कराने वाले परीक्षार्थी आमतौर पर अपने नकली पहचान-पत्र का 'लैमिनेशन' भी करवा लेते हैं। जिससे अगर कागज कहीं कोई छोटी-मोटी कमी रह भी गई होती है, तो वह भी छिप जाती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...