रानियां. देश विभाजन होने के बाद सरहद पार की कशमकश का
खामियाजा अभी तक पाकिस्तान से विस्थापित हिंदू भुगत रहे हैं। हालांकि देश
बंटवारे से पहले उन्हें कभी यह महसूस ही नहीं हुआ कि वे हिंदुस्तानी या
पाकिस्तानी। लेकिन जब देश बंटवारे के बाद उन पर पाकिस्तानियों की ओर से
परेशान किया जाने लगा तो उन्हें एहसास हुआ कि वे हिंदू हैं। अयोध्या में
मंदिर व बाबरी मस्जिद विवाद तो भारत में हुआ। लेकिन उनका परिणाम उन्हें
पाकिस्तान में भुगतना पड़ा।
उन्हें मजबूरन इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए उकसाया गया। लेकिन हार
नहीं मानी पाकिस्तान में जिस कदर तंग हाल थे और मजदूरी कर पेट पाल रहे थे।
वही हालात भारत में बसने के बाद भी बने हुए हैं, लेकिन एक इतमीनान है कि
जुल्म नहीं हो रहे है, लेकिन अनपढ़ थे और संतानें भी अनपढ़ रहीं।
पाकिस्तान में जन्म और शादी की। भारत में आने के तेइस साल बाद भी
हालात सुधरे नहीं हैं। भारतीय नागरिकता न मिलने से तरक्की भी नहीं हो सकी।
यह दर्द- 60 वर्षीय रादेकदाल, आसूराम, द्वारका राम, मनवर राम भास्कर से
बयां किया। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में 50 सदस्य हैं। जो कि इस समय
सिरसा जिले के गांव हरिपुरा में आकर 23 साल से रह रहे हैं।
...और नहीं लौटे वापस
रादेकलाल की शादी पाकिस्तान में ही रहने वाली शांति बाई से हो गई थी।
भारत आने के बाद शांति बाई दोबारा परिजनों से मिलने पाकिस्तान नहीं जा सकी
है। रादेकलाल ने बताया कि जब वे पाकिस्तान से जान बचाके भागे तो उसके माता
पिता व अन्य परिवार पाकिस्तान में रह गए।10 वर्ष पहले उसके पिता खेतालाल
उससे मिलने हरिपुरा आए थे, लेकिन उसके बाद कभी फोन से भी बात नहीं हुई। पता
नहीं वह किन हालात में रह रहे है और यह कहते कहते रादेकलाल की आंखें भर
आईं।
वैसे हम आपको बता दें कि ये पहला ऐसा मामला नहीं है, जब लोगों ने
पाकिस्तान में होने वाले जुल्मों और असुविधाओं का जिक्र किया है। इससे पहले
भी कई बार हिंदुओं और भारतवासियों पर होने वाले अत्याचार की खबरें सामने आ
चुकी हैं। भले ही वो पाक जेल में बंद कैदी हों या फिर वहां के निवासी।
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