उज्जैन। 28 मार्च, शुक्रवार को हिंगलाज माता की
जयंती है। वैसे तो भारत में हिंगलाज माता के अनेक मंदिर हैं किंतु हिंगलाज
माता का मुख्य मंदिर पाकिस्तान में है। यह 52 शक्तिपीठों में से एक माना
जाता है। लोक कथा के अनुसार चारणों की प्रथम कुलदेवी मां हिंगलाज थीं।
हिंगलाज नाम के अतिरिक्त हिंगलाज देवी का चरित्र या इसका इतिहास अभी तक
अप्राप्य है।
हिंदू और मुसलमान दोनों ही इस मंदिर को बहुत मानते हैं। हिंगलाज मंदिर
मुसलमानों के लिए नानी पीर का आस्ताना और हिंदुओं के लिए हिंगलाज देवी का
स्थान है। मान्यता है कि सातों द्वीपों में सब शक्तियां रात्रि में रास
रचाती हैं और सुबह सभी शक्तियां भगवती हिंगलाज के गिर में आ जाती हैं-
सातों द्वीप शक्ति सब रात को रचात रास।
प्रात:आप तिहु मात हिंगलाज गिर में।।
कहां है मंदिर?
हिंगलाज माता का मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान राज्य की राजधानी
कराची से 120 कि.मी. उत्तर-पश्चिम में हिंगोल नदी के तट पर ल्यारी तहसील के
मकराना के तटीय क्षेत्र में स्थित है। इस सिद्ध पीठ की यात्रा के लिए दो
मार्ग हैं- एक पहाड़ी तथा दूसरा मरुस्थली। इस इलाके की सबसे बड़ी नदी
हिंगोल है, जिसके निकट चंद्रकूप पहाड़ है। चंद्रकूप तथा हिंगोल नदी के मध्य
लगभग 15 मील का फासला है। मंदिर की परिक्रमा में गुफा भी है। यात्री गुफा
के एक रास्ते से दाखिल होकर दूसरी ओर निकल जाते हैं।
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