आपका-अख्तर खान

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13 मार्च 2014

फिर ऐसा क्या है जो में

मुझे एक बात बताओ
मेरे दिल ,,दिमाग ,,
रोम रोम में तुम बस्ते हो ,,,,,,,
फिर ऐसा क्या है जो में
तुम्हारे दिल ,, तुम्हारे दिमाग में
आज तक भी न बस सका हूँ ,,,,,,,
मुझे एक बात बताओ
ऐसा क्यूँ है ,,किसीलिए है
वोह कोन है
जो तुम्हारे दिल में बस गया है ,,,,
में खाली खाली सा बस यूँ ही
आसमान की तरफ देख कर सोचता हूँ
मुझ में क्या कमी है आखिर
जो मेरा रोम रोम तुम्हारे लिए तड़प कर भी
तुम्हे मेरा अपना न बना पाया है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

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