आपका-अख्तर खान

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30 मार्च 2014

चलूं उठूँ ,,

चलूं उठूँ ,,
मेरे सीने के
रिस्ते हुए ज़ख्मों को
पहले धो लूँ
मलहम लगा लूँ
फिर वही
नए कपड़े पहनकर
उनके सामने जाना है
फिर करेंगे
सीना मेरा वोह लहू लुहान
अपने ज़हर में बुझे तीरों से
क्योंकि
उन्होंने आज फिर
मुझे बढ़े प्यार से बुलाया है
चलु उठूँ ,,,,,,,,चलूँ उठूँ ,,,,,,,,

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