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22 फ़रवरी 2014

चीन को ललकार मोदी ने दिए अमेरिका के प्रति नरमी के संकेत



पासीघाट/सिलचर/अगरतला। भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपने मिशन 272 के तहत उत्तर पूर्व के दौरे पर ताबड़तोड़ तीन रैलियां एक दिन में कर न सिर्फ कांग्रेस को कुछ खरी बातें सुनाई बल्कि पहली बार चीन और पाकिस्तान से जुड़े देश की विदेश नीति के तत्वों पर अपनी सोच समझ भी सामने रखी। मोदी ने सबसे पहले अरुणाचल के पासीघाट में फिर असम के सिलचर और अंत में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में रैलियों को संबोधित किया। वैसे तो नरेंद्र मोदी के निशाने पर चीन और कांग्रेस थी लेकिन बातों बातों में वह अपनी बात के खुद ही शिकार हो गए। पूर्वोत्तर में इस बार वे चीन की विस्तारवादी नीति की आलोचना कर रहे थे। चीन को ललकार रहे थे। पर इसके साथ ही गुजरात का महिमामंडन करते समय वे कह बैठे कि मुझसे पाकिस्तान परेशान है इधर बांग्लादेश से असम परेशान है। 
 
पाक में जारी हो सकता है अलर्ट 
जानकारों के अनुसार मोदी के इस बयान के बाद से पाकिस्तान की सेना और शासन शायद पहले से ज्यादा अलर्ट हो जाए और आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर अधिक कूटनीतिक संवेदनशीलता बरतने लगे। इस बात का एक सिरा इस ओर भी इशारा कर रहा है कि मोदी जम्मू कश्मीर और पंजाब की संभावित रैलियों में पाक पर और तीखे प्रहार करने लगे। 
 
कहां क्या कहा और क्यों कहा 
पासीघाट में रैली को संबोधित करते समय नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत अरुणाचल प्रदेश को भारत से नहीं छीन सकती है। चीन बराबर अरुणाचल प्रदेश पर अपनी दावेदारी जताता रहा है। भाजपा नेता ने कहा कि अब दुनिया में कहीं भी विस्तारवादी राजनीति नहीं होती है, इसलिए चीन को भी अपनी विस्तारवादी मानसिकता को छोड़ना होगा। प्रदेश में सरकार चला रही कांग्रेस की आलोचना करते हुए उन्होंने 2012 में हुए मुख्यमंत्रियों के एक सम्मेलन का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने उस सम्मेलन में केंद्र की कांग्रेस सरकार पर ही कई आरोप लगाए थे। उन्होंने लोगों से दिल्ली में एक ऐसी सरकार बनाने की अपील की जो कि अरुणाचल प्रदेश के लोगों की आवाज सुने। खास बात ये भी है कि इस रैली में अरुणाचल के पूर्व सीएम गेगांग अपांग विधिवत रूप से भाजपा में शामिल हो गए। 
 
अमेरिका के प्रति नर्म होने के अर्थ 
मोदी के इस बयान के गहरे निहितार्थ हैं। वह एक तीर से कई निशाने लगाना चाहते हैं। 
 
पहला निशाना
अमेरिका,
इस निशाने के बहाने वह एक तरह से अमेरिका के दलाई लामा से मिलने के फैसले को एक तरह से समर्थन दे रहे थे। 
 
ऐसे समझें अमेरिका व दलाई लामा को समर्थन देने की राजनीति को 
चीन आरंभ से ही अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत कहता रहा है इसीलिए मोदी ने दलाई लामा और अमेरिका दोनों को एक साथ साधते हुए दुनिया भर में बौद्ध धर्म को  मानने वाले लोगों को अपनी ओर खींचने का प्रयास किया है। इसके साथ अब मोदी के लिए अमेरिका साम्राज्यवादी देश नहीं रहा। यानी अमेरिका की आलोचना से अब वह बचेंगे। 
 
दूसरा निशाना
कांग्रेस,
वह कांग्रेस के किले को भेदने की कोशिश भी कर रहे थे। इसके अलावा वह चीन को लेकर भारतीय जनमानस की चिंताओं और असुरक्षा की भावना को उभारना चाहते हैं। दरअसल मोदी भावनाएं उभारने वाले खेल के माहिर खिलाड़ी हैं। उन्हें पता है कि पूर्वोत्तर की जनता का एक बड़ा हिस्सा अमरिकी संस्कृति से बेहद प्रभावित हो चुका है और चीन के प्रति अशंकित रहता है। गौरतलब है कि इसके साथ-साथ कांग्रेस के भीतरी असंतोष को हवा देकर वह अपने लिए राजनीतिक जमीन भी तैयार कर रहे थे। 
 
सिलचर में खेला हिंदू कॉर्ड 
असम के सिलचर में मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बांग्लादेशी घुसपैठिए और हिंदू कॉर्ड खेला। नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के हिंदुओं का मुद्दा उठाते हुए कहा कि वहां से खदेड़े जा रहे हिंदुओं का बोझ सिर्फ असम पर क्यों लादा जाता है? मोदी ने कहा कि उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में बसाना चाहिए, लेकिन वहां से राजनीतिक कारणों से आ रहे घुसपैठियों को वापस भेजा जाना चाहिए।
 
वाजपेयी का गुणगान कर लाए इमोशनल टच
अपने पक्ष के तर्क में उन्होंने वाजपेयी सरकार की नीतियों का भी गुणगान किया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने हर विभाग को कुल बजट का 10 फीसद हिस्सा पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए आबंटित करने को कहा था। भाजपा नेता ने कहा कि अगर वो प्रधानमंत्री बने तो वो पूर्वोत्तर के लिए वाजपेयी सरकार की नीतियों को ही आगे बढ़ाएंगे। मोदी ने भीड़ से पूछा बांग्लादेश से जो घुसपैठिए आए हैं, उन्हें बार भेजना चाहिए या नहीं। बांग्लादेश से दो तरह के लोग आए हैं। एक तरह लोग राजनीतिक साजिश के तहत आए हैं। दूसरे ऐसे लोग हैं जिनका बांग्लादेश में जीना मुश्किल कर दिया गया है। उनकी बहन-बेटियों की इज्जत सुरक्षित नहीं है। क्या दोष है बांग्लादेश में रहने वाले उन लोगों का जिनका सब कुछ लूट लिया जाता है, उन्हें खदेड़ दिया जाता है। वो हिंदू जाएगा तो जाएगा कहां। अगर फिजी के हिंदू पर जुल्म होता है तो वो कहां जाएगा। मारीशस-अमेरिका में हिंदुओं पर जुल्म होगा तो वो कहां जाएगा। दुनिया में किसी हिंदू को खदेड़ दिया जाएगा तो उसके लिए एक ही जगह बची है। क्या हमारी सरकार उन पर ऐसे ही जुल्म करेगी जैसा विदेशों और बांग्लादेश में हो रहा है। वाजपेयी ने पाकिस्तान से आए हिंदुओं के लिए योजना बनाई थी। अकेले किसी राज्य पर बोझ नहीं आया था। हम नहीं चाहते कि बांग्लादेश से आए हिंदुओं का बोझ सिर्फ असम उठाए। ये लोग देश के सभी राज्यों में जाएं। उन्हें रोजगार मिले, बच्चों को पढ़ाई मिले। इससे असम की समस्या भी कम होगी। जो घुसपैठिए राजनीतिक मकसद से आए हैं उन्हें तो वहीं वापस भेजना होगा।

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