आपका-अख्तर खान

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01 फ़रवरी 2014

चलो आओ यह प्यार मोहब्बत के नाम पर रिश्तों के नाम पर दंगे फसादात की रीत छोड़े और एक नया आदर्श एक नया विकसित भ्रस्टाचार मुक्त भारत के सपने को साकार करे

दोस्तों पिछले दिनों मेरे कुछ सवालात रिश्तों को लेकर थे ,,,,इस सवाल के जवाब में कई बाते सामने आई किसी  ने इसे खुराफात समझा तो किसी ने इसे साम्प्रदायिकता किसी ने इसका अपने अंदाज़ में जवाब दिया तो कई ने तो इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर बदले की  ठान ली और मेरे सवाल का जवाब देने की जगह मेरे ही अंदाज़ में सवाल दाग दिया ,मेरे दोस्तों मेरे भाइयों ,,मेरी बहनों मेरे  इन सवालों से जिन जिन की भावनाओं को ठेस पहुंची है उनसे में हाथ जोड़कर कान पकड़कर और मुर्गा बनकर क्षमा प्रार्थी हूँ ,,,,मेरे दोस्तों मेरे इन सवालों के पीछे कोई शरारत नहीं बल्कि एक फलसफा छुपा था में देश को बताना चाहता था के बढ़े लोग जो दंगे फसादात के सरगना कहे जा सकते है साम्प्रदायिकता धर्मान्धता वहाँ नहीं होती वहाँ सिर्फ प्यार ही प्यार होता है पर प्यार के बंधनों ने मेरे इस देश को महान बनाकर एकता के सूत्र में पिरोने की कोशिश की है जब गयासुद्दीन के घर परिवार में पंडित नेहरू पैदा हो सकते है ,,,,,,,,शाहरुख की बीवी गोरी हो सकती है ,,,,ऋतिक की बीवी   संजय खान की पुत्री सुज़ेन खान हो सकती है ,,,,,शाहनवाज़ ,,मुख्तार अब्बास नक़वी की शादी हमारी दूसरे मज़हब की बहनों के साथ होती है सचिन पायलेट की शादी सारा खान से होती है तो बताइये देश में नफरत और सामप्रदायिकता कहा है यहाँ तो हमेशा हर पल हर क्षण सिर्फ और सिर्फ प्यार की ही जीत हुई है फ्री क्यूँ यह खाप पंचायतें प्यार में बाधा बनकर नफरत फैलाती है मुज़फ्फरनगर हो या फिर कहीं और वहाँ दंगे फसाद भड़काए जाते है ,,,,आज देश को सोचने की ज़रूरत है हम आज़ाद है हमारी संस्कृति प्यार मांगती है अपनापन मांगती है और रिश्तों में रिश्ते जुड़ते जा रहे है ,यह सही है के सभी को अपना मज़हब ,,अपना धर्म ,,अपना समाज ,,अपना सम्प्रदाय अपनी जाती प्यारी होती है और होना भी चाहिए लेकिन प्यार किसी धर्म मज़हब के बंधनों में बंधा नहीं है ,,यह आज़ाद है अगर कोई बच्चे प्यार मोहब्बत के नाम पर अंतरजातीय विवाह कर बेठे तो क्या हमारा समाज मुज़फ्फरनगर की तरह शैतान हो जाएगा क्या हमारी खाप पंचायतें पश्चिमी बंगाली की तरह सरे आम  मंच बनाकर लड़की से सामूहिक बलात्कार करेंगे क्या आरुषी का क़त्ल कर दिया जाएगा ,,,,,आज हमे एक नयी सोच नयी दिशा की ज़रूरत है छोटी छोटी बातों पर सियासी लोगों की वोट राजनीती में भड़काने में आने की जगह हमे सोचना होगा के यह लोग जो हमे भड़का रहे है इन्होेंने भी तो प्यार क्या है ,,दोस्तों प्यार सिर्फ प्यार होता है इसके नाम पर नफरत अगर कोई फैलाता है तो वोह कोई इंसान नहीं शैतान ही हो सकता है ,,,हमे वेसे तो हमारी संस्कृति को ज़िंदा रखने के लिए निरंकुश माहोल पर अंकुश लगाना होगा और फिर भी अगर प्यार की प्यार की परवाज़ अगर इधर से उधर ,,उधर से इधर डाल पर आती जाती रहे तो फिर गुस्से होने की बात नहीं शर्मिंदा होने की बात नहीं इसे सहज स्वीकार कर खामोशी इख़्तियार कर समाज को एक नया संदेश देना चाहिए लेकिन अगर कोई सिर्फ और सिर्फ किसी की  उच्छालने  के लिए बदले की भावना से बेशर्मी फैलाता है तो ऐसे लोगों के लिए अदालते खुली है जेले खुली ऐसे लोगों की जगह जेल में होना चाहिए हमे क़ानून हाथ में लेकर एक दूसरे के खून के प्यासे नहीं होना चाहिए ,,तो दोस्तों एक बार फिर में माफ़ी के साथ उन सभी मेरे भाइयों से माफ़ी चाहता हूँ जिनकी भावनाएं जिनके जज़बात मेरे सवालों से आहत हुए ,,,यह देश महान है ,,यह देश हिंदुस्तान है यहाँ ना कोई हिन्दू न कोई मुसलमान है यहाँ ना कोई सिक्ख ना ईसाई है यहाँ तो बस प्यार ,,प्यार और सिर्फ प्यार है ,,यहाँ इंसानियत है ,,यहाँ अपनापन है ,,यहाँ एक दूसरे के दुःख दर्द में काम आने का रिवाज है ब्लड  बेंक में किसी पता के किसका खून हिन्दू का है किसका खून मुसलमान का और किस घायल या फिर ऑपरेशन करवाने वाले को पता के उसका खून किसी हिन्दू या किसी मुसलमान का चढ़ रहा है ,,सभी का खून लाल है ,,सभी का कर्त्तव्य अपने धर्म अपनी तहज़ीब ,,अपने संस्कार अपनी संस्कृती के साथ साथ भारत की रक्षा करना ,,इसे खुशहाल बनाना इसे एक करना इसे सुरक्षित करना इसे विकसित करना है फिर चलो आओ यह प्यार मोहब्बत के नाम पर रिश्तों के नाम पर दंगे फसादात की रीत छोड़े और एक नया आदर्श एक  नया विकसित भ्रस्टाचार मुक्त भारत के सपने को साकार करे ,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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