आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

08 फ़रवरी 2014

ये है दुनिया की सबसे लंबी महिला, ढाई किलो चावल से होती है खुराक की शुरुआत



दक्षिण दिनाजपुर (प.बंगाल).  झारखंड जमशेदपुर से महज कुछ ही घंटे की दूरी पर स्थित पं.बंगाल की रहने वाली एक महिला जिसका कद सात फीट आठ इंच है। लगातार बढ़ता ही जा रहा था। वजन  भी। 130 किलो की सिद्दीका परवीन को चार महीने पहले ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉड्र्स ने दुनिया की सबसे लंबी महिला का खिताब दिया था। मजदूरी कर पैसे कमाने वाले सिद्दीका के पिता की आमदनी उसकी खुराक पूरी करने में ही निकल जाती है। सिद्दीका अपनी खुराक में करीब ढाई किलो चावल के साथ 20 से ज्यादा रोटियां तक खा जाती हैं। 26 साल की सिद्दीका को दरअसल ब्रेन ट्यूमर था। पिट्यूटिरी ग्लैंड पर। इसी वजह से शरीर में ग्रोथ हॉरमोन की मात्रा सामान्य से दस गुना ज्यादा हो गई थी। ज्यादा वजन ने रीढ़ में कई फ्रैक्चर कर डाले थे। सीधी खड़ी नहीं हो पाती थीं। लेकिन पिछले सप्ताह नई दिल्ली स्थित एम्स में हुए एक जटिल ऑपरेशन के बाद वह बेहतर महसूस कर रही हैं।
शनिवार को ही सिद्दीका दिल्ली  से वापस अपने गांव लौटी। उसने भास्कर को बताया, ऑपरेशन के बाद लग रहा है जैसे सिर से बड़ा बोझ उतर गया है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि ट्यूमर का एक फीसदी हिस्सा अभी बाकी रह गया है। इसे रेडियोथेरेपी से ठीक किया जाएगा। छह महीने बाद रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन होगा। उसके बाद कई महीनों की फिजियोथेरेपी। तब कहीं जाकर सीधी खड़ी हो पाएगी। उसका हॉरमोन लेवल तो सामान्य हो गया है। लेकिन जीवन सामान्य होने में लंबा समय लगेगा।अचानक बढ़ने लगी उंचाई
दक्षिण दिनाज़पुर जिले के बंसीहारी गांव में पैदा हुई थी सिद्दीका। कोलकाता से पांच सौ किलोमीटर दूर लेकिन बांग्लादेश से सिर्फ पचास किमी। दस साल तक उसकी ग्रोथ सामान्य थी। फिर अचानक लंबी होने लगी। हर साल 4-5 इंच। घर छोटा पडऩे लगा। छत नीची हो गई। पिता अफाजुद्दीन डेढ़ सौ रुपए रोज के खेतिहर मजदूर हैं। हर छह महीने में नए कपड़े सिलाना उनके लिए संभव न था। और न ही भरपेट खाना जुटाना। ढाई किलो चावल और 20 रोटी रोज सिर्फ उसके लिए। जूते का नंबर 16। बच्चों के लिए कौतूहल से ज्यादा मज़ाक का विषय थी वह। कोई पहाड़ पुकारता तो कोई बु़ढिय़ा। रीढ़ की समस्या से झुककर जो चलती थी।
तीन साल पहले जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ओम प्रकाश मिश्रा बंसीहारी आए। अफाजुद्दीन ने सिद्दीका के बारे में उन्हें बताया। वे उससे मिले भी। तब सिद्दीका पांच फीट के दरवाजे वाले एक छोटे से कमरे में रहती थी। इसमें घुसने में ही उसे मुश्किल होती थी। घुस जाती तो खड़ी नहीं हो पाती। मिश्राजी ने बड़ा कमरा बनवाने के लिए पांच हजार रुपए दिए। अपने संपर्कों के जरिए उसे राज्य सरकार से भी मदद दिलाई। तब जाकर इलाज हो सका। वरना ट्यूमर की वजह से दृष्टिहीन होने की आशंका थी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...