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16 फ़रवरी 2014

में तो अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल ,, लोग मिलते गए और कारवाँ बनता गया ,,

में तो अकेला  ही चला  था  जानिबे मंज़िल ,, लोग मिलते गए और कारवाँ बनता गया ,,,,,,,,,जी हाँ दोस्तों कहने को चाहे यह किसी शायर का लिखा जुमला हो ,लेकिन शत प्रतिशत सच और सही है ,,लगभग दो सप्ताह पहले में सोफिया स्कूल के पास वल्लभनगर स्थित भंवर शाह तकिया बाबा जंगलीशाह क़ब्रिस्तान में था वहाँ मेने कुछ  नयी क़ब्रों की दुरदशा देखी दुरदशा तो क्या जो हाल मेने देखा वोह में यहाँ बयान करने की स्थिति में भी नहीं हूँ ,,,यह हाल देख कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए मन उदास हो गया सोचा के उम्र के इस आखरी और अंतिम आवश्यक पढ़ाव शहरे खामोशां की भी यह दुरदशा है ,,सोचा हम जीते जी तो परेशानियों से जूझते रहते है सुकून से नहीं जी पाते लेकिन मरने के बाद तो हमे कम से कम आखरी पढ़ाव में सुकूंन मिले सोचा इस क़ब्रिस्तान से वक़फ़ कमेटी कोटा को लगभग पच्चीस लाख रूपये साल की कमाई होती है अगर आधा रुपया भी यह इस क़ब्रिस्तान के रख रखाव पर  खर्च कर दे तो सरकार और यह व्यवस्था इस स्थिति को सुधारने के लिए काफी है ,,,,,,,,खेर वक़फ़ कमेटी प्राथमिक ज़िम्मेदारी क़ब्रिस्तानों का रखरखाव सही तरह से कर पाने में जब नाकाम लगी तो मेने  फोन उठाया और सबसे पहले ई टी वी के हेड जगदीश क़ातिल और खुर्शीद भाई रब्बानी को सुचना दी ख्रुषीद भाई का रेस्पोंस प्रोपर आया लेकिन खबर नहीं बनी फिर सहारा समय टी वी चेनल के लोगों को कहा जब बात नहीं बनी तो दिल्ली सहारा हेड को बताया गया थोड़ी देर में वरिष्ठ पत्रकार जेदी साहब ने सम्पर्क कर हालात जाने और कोटा के संवाददाता पांचाल जी को  मामला देखें के लिए कहा ,,क़ब्रिस्तान की दुरदशा पर आधे घंटे का जागो राजस्थान का कार्यक्रम बनाना तय हुआ इसी बीच दैनिक भास्कर के सम्पादक विजय चौहान सर ने इसे अत्यंत गम्भीरता से लिया उन्होंने इसे एक मिशन के रूप में लेते हुए चीफ रिपोर्टर भाई शेलेन्द्र माथुर को भास्कर प्रेस फोटोग्राफर सलीम शेरी के साथ हालात जानने के लिए पहुंचाया इन लोगों ने क़ब्रिस्तान में जो हालत देखे इन्होने भी दांतो टेल उंगलिया दबा ली और दूसरे ही दिन भास्कर टोक शो के रूप में कोटा के ज़िम्मेदार मुसलमानो को बुलाया गया उनसे हालत जाने गए और फिर एक कोर कमेटी का गठन क्या गया बस फिर क्या था भास्कर अख़बार की निगरानी में काम शुरू हुआ ,,पहले ही दिन वकक कमेटी के अज़ीज़ अंसारी साथ आ गए ,,,अलमदद के आबिद ,,,आप के मिसकॉल मोहम्मद हुसे  अल्फलाह के रफ़ीक़ बेलियम ,,ज़ाकिर रिज़वी ,, फातेहान वेलफेयर सोसाइटी के रहीम खान ,,रउफ़ भाई ,,कोटड़ी व्यापार संघ के आबिद कागज़ी में खुद और बाबा रज़ाक ,,,हाजी इलियास अंसारी सहित दरजनों लोग क़ब्रिस्तान में थे पहले नयी शहीद क़ब्रों की मरम्मत का काम हाथ में लिया गया क़रीब साठ ताज़ा शहीद क़ब्रों को दुरुस्त कर यथावत क्या गया ,,,बस फिर क्या था रोज़ कर सेवा और श्रम दान के लिए लोगों का  जमावड़ा होने लगा सभी लोग अपने अपने हिसाब से काम करते नज़र आये ,,बाबा रज़ाक खुद जे सी बी मशीन लेकर खाली पढ़ी ज़मींन के झाड़ झंकाड़ हटाने लगे बाबा रज़ाक के बम्बूल के बढ़े बढ़े काँटों से पैर और हाथ लहुलुहान कड़ी महनत  करने से उनके हाथ पाँव अकड़ गए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वोह लगातार एक हफ्ते से अपने मिशन में लगे हुए है ,,आबिद कागज़ी ,,,हाजी इलियास अंसारी ,मोहम्मद हुसेन मिस कोल ,,रहीम भाई ,,,,अज़ीज़ अंसारी ,,,शहीद मुल्तानी ,,,आबिद हुसेन ,,रफ़ीक बेलियम ,,ज़ाकिर रिज़वी भास्कर के फोटोग्राफर खुद सलीम शेरी,,,मंज़ूर तंवर ,,साबिर भाटी ,,,,आरिफ नागरा ,,,तबरेज़ पठान ,,,रशीद क़ादरी ,,,सहित सैकड़ों  लोगों ने काम शुरू क्या ,,अख़लाक़ साहब को  की ज़िम्मेदारी दी गयी ,,,नक़शा बन रहा है इसी बीच महापौर डॉकटर रत्ना जेन से भी इस बीमारी का इलाज करने के लिए कहा गया ,,डॉकटर रत्ना जेन उनके जन्म दिन के सभी कामकाज छोड़ कर क़ब्रिस्तान में  हमारे साथ मौक़ा देख रही थी पत्थरीली जगह ,,उबड़ खाबड़ रास्ते और कंटीली झाड़ियों के बीच जब उन्होेंने  क़ब्रिस्तान का हाल जाना तो उनके मुंह से भी बेसाख्ता ओह निकल पढ़ा ,,,,उन्होंने हालात का मिजाज़ भांपा हमे कार्यालय बुलाया वहाँ सीपेज खत्म करने के लिए स्थाई नाले का निर्माण ,,,पगडंडियां और गार्डन बनाने की योजना तैयार हुई ,,शावल मशीन ,,डम्पर ट्रेकटर दिए गए ,,,,मज़दूर दिए गए और लगातार काम में और तेज़ी आ गयी लोगों का उत्साह बढ़ा ,,क़ब्रिस्तान की शक्ल बदल गयी बाबा रज़ाक अभी भी एक जुनुन के साथ क़ब्रिस्तान को संवारने की कोशिशों में जूट है अब कई लोग साथ आने लगे है ,,,खुदा से दुआ है के खुदा इस नेक काम को सुकून और अमन चेन इस्लामिक निति नियमों के तहत बिना किसी विवाद के पूरा करे क्योंकि कायाकल्प कार्य किसी गार्डन या मामूली जगह का नहीं क़ब्रिस्तान का करना है जहां कई आस्थाएं कई इस्लामिक नियम रीतिरिवाज सामने आते है इसलिए कार्यकर्ताओं को सम्पूर्ण सावधानी के साथ काम करने की खुदा तौफ़ीक़ अता फरमाये और उम्र के आखरी पढ़ाव चाहे वोह मुक्तियधाम् हो चाहे वोह क़ब्रिस्तान हो सभी स्थानों के जीर्णोद्धार और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कोटा की जनता आगे आये मीडिया आगे आये और लोगों को जागरूक करे ,,,दैनिक भास्कर के सम्पादक विजय चौहान ,,चीफ रिपोर्टर शेलेन्द्र माथुर ,,प्रेस फोटोग्राफर सलीम शेरी सहित पूरी टीम मुबारकबाद और बधाई की हक़दार है ,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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