शाहरुख खान को रील लाइफ की तरह रियल लाइफ में भी अपनी नायिका गौरी खान
को अपना बनाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े थे। दिल्ली में पहली बार गौरी
को देखते ही वे अपना दिल दे बैठे थे। इसके बाद जिस भी पार्टी में गौरी
जातीं, शाहरुख बिना बुलाए ही उसमें पहुंच जाते। उन्होंने गौरी से तीसरी
मुलाकात में उनके घर का टेलीफोन नंबर ले लिया। इसके बाद वे अपनी एक दोस्त
से गौरी के घर फोन करवाते थे।
जैसे ही उनकी दोस्त फोन पर अपना नाम शाहनी बताती तो गौरी समझ जातीं कि
शाहरुख का ही फोन है। करीब पांच साल तक यूं ही फोन पर बातें करने और
मिलने-जुलने का सिलसिला चलता रहा। दोनों का अलग-अलग धर्मों का होना उनकी
शादी में सबसे बड़ा रोड़ा था। गौरी के माता-पिता शाहरुख से शादी के सख्त
खिलाफ थे। गौरी भी शाहरुख के फिल्मों में काम करने के खिलाफ थीं।
इसी दौरान शाहरुख की मां का निधन हो गया। इसके बाद शाहरुख ने गौरी के
पिता को फोन पर कहा कि उन्होंने कोर्ट मैरिज कर ली है। बाद में वे उनके पास
गए और बोले कि उन्होंने शादी नहीं की है, लेकिन जल्द कर लेंगे। अंतत: गौरी
के माता-पिता मान गए और दोनों ने 25 अक्टूबर 1991 को शादी कर ली। शाहरुख
हाथी पर बैठकर बरात लाए थे और सबसे ज्यादा खुद ही नाचे थे।
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