आपका-अख्तर खान

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01 जनवरी 2014

में जानता हूँ मेरी वफ़ा में तड़प ही तड़प होगी ,

में जानता हूँ
मेरी वफ़ा में
तड़प ही तड़प होगी ,,
ऐ मोहब्बत
है यक़ीन मुझे
तू भी
मेरी तरह बेचेंन
मेरी तरह तड़पती होगी ,
बस ऐसे माहोल में
खुद से दुआ है मेरी
ऐ खुदा
वोह मेरी मोहब्बत है
उसे मेरी तरह बेचेंन ना कर ,
उसकी क़िस्मत में
जुदाई की लिखी है जो तड़प
उसे भी तू मेरे नाम कर दे
उसे भी तू मेरे नाम कर दे ,,,,,,,अख्तर

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