में जानता हूँ
मेरी वफ़ा में
तड़प ही तड़प होगी ,,
ऐ मोहब्बत
है यक़ीन मुझे
तू भी
मेरी तरह बेचेंन
मेरी तरह तड़पती होगी ,
बस ऐसे माहोल में
खुद से दुआ है मेरी
ऐ खुदा
वोह मेरी मोहब्बत है
उसे मेरी तरह बेचेंन ना कर ,
उसकी क़िस्मत में
जुदाई की लिखी है जो तड़प
उसे भी तू मेरे नाम कर दे
उसे भी तू मेरे नाम कर दे ,,,,,,,अख्तर
मेरी वफ़ा में
तड़प ही तड़प होगी ,,
ऐ मोहब्बत
है यक़ीन मुझे
तू भी
मेरी तरह बेचेंन
मेरी तरह तड़पती होगी ,
बस ऐसे माहोल में
खुद से दुआ है मेरी
ऐ खुदा
वोह मेरी मोहब्बत है
उसे मेरी तरह बेचेंन ना कर ,
उसकी क़िस्मत में
जुदाई की लिखी है जो तड़प
उसे भी तू मेरे नाम कर दे
उसे भी तू मेरे नाम कर दे ,,,,,,,अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)