आपका-अख्तर खान

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10 जनवरी 2014

भाजपा के विधान में अंकित धारा तीन का उलंग्घन करने वाला क्या भाजपा का सदस्य् रहने लायक़ है आप ही बताइये ,,,

दोस्तों सभी जानते है के किसी भी राष्ट्रीय पार्टी को चलाने के लिए हर पार्टी का अपना एक संविधान होता है और उसकी पालना पार्टी के सदस्य को करना ज़रूरी होती है जो सदस्य पार्टी के विधान की पालना नहीं करता उसे पार्टी का सदस्य नहीं पार्टी का गद्दार कहा जाता है ,,भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रेस के लोगों ने तो अपने ही संविधान का मज़ाक़ उढ़ाया खुला उलंग्घन  नतीजा उन्हें जनता ने सीधा बाहर का रास्ता दिखा दिया है और अभी फिर वोह बाहर के रास्ते की तरफ है  पार्टी में अराजकता है हार है ,,,,,,,,,,टूटन है ,,अनुशासनहीनता है और बर्बादी का रास्ता है ,,,,,,,,,,,लेकिन भाजपा जो खुद को हमेशा राष्ट्रभक्त और सिद्धांतों पर चलने वाली पार्टी कहती रही है अगर उसी की पार्टी के शीर्ष लोग पार्टी के नीति नियमों का उलंग्घन करे तो क्या वोह भाजपा में रहने लायक़ है इसका फैसला पार्टी का विधान देख कर खुद पार्टीवालों को करना है ,,,,,,,,,,भाजपा के विधान की धारा तीन के मूलदर्शन में लिखा है ,,,,एकात्म मानववाद ,,पार्टी का मूल दर्शन होगा ,, धारा चार में निष्ठाएं परिभाषित है ,जिसमे लिखा है ,,,,,,,,,राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय एकात्मता ,लोकतंत्र ,सामाजिक-आर्थिक विषयों पर गांधीवादी दृष्टिकोण ,,जिसमे शोषण मुक्त एवं समतायुक्त समाज की स्थापना हो सके सकारात्मक पंथनिरपेक्षता अर्थात सर्वधर्म सम्भव मूल्यों पर आधारित राजनीति और आर्थिक और राजनितिक विकेंद्रीकरण में पार्टी विश्वास करती है ,,,,,,,यानी इस परिभाषा में पार्टी गांधीवादी विचारधारा पर निर्भर है लेकिन सभी जानते है के गांधी के हत्यारों को महिमामंडित करने वाले लोग भाजपा में है और समर्थक है ,,,,,,,सभी जानते है के गांधी का अपमान करने वाले उनकी छवि धूमिल करने वाले भाजपा में है और भाजपा के समर्थक है ,,,,,,,,इससे भी बढ़ी बात यह है के नरेंदर मोदी जो भाजपा के वरिष्ठ नेता होने के कारण भाजपा से देश के प्रधानमंत्री उम्मीदवार है जो देश का सर्वोच्च पद होता है वोह नरेंदर मोदी गांधी की विचारधारा के खिलाफ है वोह नरेंद्र मोदी अपने गुजरात में जहां महात्मागांधी का गांधीनगर है वहाँ पार्टी के संविधान को सम्पर्पित गांधीवादी  विचारधारा के तहत महात्मा गांधी की बढ़ी मूर्ती स्थापित करना नरेंदर मोदी का परम कर्त्तव्य था लेकिन वहाँ गांधी की मूर्ति नहीं सरदार पटेल की मूर्ति पर अनावश्यक रुपया खर्च किया जा रहा है अब देखिये विधान में गांधी के प्रति समर्पण होना ज़रूरी है और व्यवहार में गांधीवादी दृष्टिकोण नहीं है ऐसे में भाजपा के विधान में अंकित धारा तीन का उलंग्घन करने वाला क्या भाजपा का सदस्य् रहने लायक़ है आप ही बताइये ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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