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12 दिसंबर 2013

STING: एक से 200 रुपए तक में बेची जा रही बेटियों की इज्‍जत



रांची। सस्ते में घर की बहू-बेटियों की इज्जत नीलाम करने के काले कारोबार का भंडाफोड़ एक स्टिंग ऑपरेशन में हुआ है। कारोबार को किस तरह अंजाम दिया जा रहा है, इसका खुलासा हमारे सहयोगी प्रकाशन डीबी स्टार द्वारा रांची में किए गए स्टिंग ऑपरेशन के जरिए हुआ है।
फेसबुक पर अपलोड की गई लड़कियों की तस्‍वीरें फोटोशॉप के जरिए न्‍यूड कर बेची जा रही हैं। साइबर सेल में ऐसी सैकड़ों शिकायतें हर महीने पहुंच रही हैं। आदिवासी लड़कियों के एमएमएस भी 'लोकल' के नाम पर बेची जा रही हैं। मोबाइल शॉप नियम कायदों को ताक पर रख डाउनलोडिंग का अवैध धंधा कर रहे हैं। एक रुपए से लेकर दो सौ रुपए तक में एमएमएस बेचा जा रहा है। इसे मोबाइल के चिप से लेकर पेन ड्राइव तक के जरिए हर जेब में पहुंचाया जा रहा है। मोबाइल शॉप वाले अश्लील एमएमएस धड़ल्ले से बच्चों को भी परोस रहे हैं।
साफ है कि काले कारोबार के इस धंधे में एक ओर जहां आबरू की नीलामी हो रही है, वहीं दूसरी ओर चाइल्ड पोर्नोग्राफी को भी बढ़ावा मिल रहा है। स्टिंग में यह भी सामने आया कि धंधे में पुलिस की भी मिलीभगत है। तभी तो पुलिस कार्रवाई की बजाए चुप्पी साधी हुई है। चार दुकानों में की गई स्टिंग इस बात को पुख्ता कर रही है।
ऐसे मार्केट में पहुंच रहे 'लोकल' एमएमएस
दुकानदारों से की गई बातचीत में पता चला कि स्कूल व कॉलेज गोइंग छात्र अपने ही गर्लफ्रैंड्स का एमएमएस बनाकर दुकानदारों को दे रहे हैं। यहां के प्रसिद्ध डेली मार्केट के एक दुकानदार ने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि शहर के स्कूलों के कई स्टूडेंट महज पांच सौ रुपये में अपनी ही कथित गर्लफ्रैंड का वीडियो देने में नहीं हिचकते। इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे युवा तो खुद ही अपलोड कर रहे हैं।
ऐसे किया स्टिंग
डीबी स्टार की टीम ने रांची की चार दुकानों पर जाकर एमएमएस के जरिए बेटियों की इज्जत बेचने की पड़ताल की। खुफिया कैमरे से दुकानदारों द्वारा अश्लील वीडियो एमएमएस दिए जाने की पूरी प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग की। कई ग्राहकों व बच्चों से भी बात करके इस खेल का सच जाना।
शहर की लड़कियों का देंगे लोकल वीडियो
दुकान : मोबाइल स्टेशन, समय : 11.50 बजे, स्थान : डेली मार्केट रोड
रिपोर्टर: मुझे लोकल वाला चाहिए। आपके पास मिल जाएगा।
दुकानदार: अरे अंदर आओ। सबकुछ मिलेगा। दाम देने से आजकल सबकुछ मिलता है।
रिपोर्टर: मुझे हिंदी वाली लोकल क्लिपिंग चाहिए।
दुकानदार: मिल जाएगा। कितना जीबी लेना है तुमको? जीबी के हिसाब से देते हैं।
रिपोर्टर: दो जीबी लेना है। कितना लगेगा।
दुकानदार: दो जीबी का 120 रुपए लगेगा।
रिपोर्टर: आप महंगा बता रहे हैं। दूसरी जगह सस्ता ही मिलता है।
दुकानदार: हम दाम लेते हैं तो क्वालिटी भी बेहतर देते हैं। एचडी वीडियो की क्लिपिंग है हमारे पास। एक बार ले जाओ, लौटकर दोबारा आओगे।
रिपोर्टर: कहां कहां का मामला है क्लिपिंग में?
दुकानदार: अरे रांची से लेकर विदेशों के एमएमएस व वीडियो हैं।
रिपोर्टर: कहीं कोई अभी पकड़ तो नहीं लेगा?
दुकानदार: अरे कैसी बात करते हो। सबकुछ सेट है। लैपटॉप में हमलोग छिपाकर रखते हैं। लोगों को पता है कि कैसे मिलेगा। पुलिस को पता तक नहीं चलेगा। पता चलने पर भी पुलिस कुछ नहीं कर सकती।
अश्लील वीडियो क्लिपिंग व सीडी का रेट है फिक्स
अश्लील फिल्मों की सीडी व क्लिपिंग बेचने को लेकर रेट फिक्स है। इसके रेट को लेकर दुकानदार काफी सख्ती से बात करते हैं। डीबी स्टार के रिपोर्टर्स जब मोबाइल डाउनलोडिंग की दुकान में पहुंचे तो ग्राहकों द्वारा एमएमएस के लिए मोल तोल करते देखा। दुकानदारों का कहना था कि वे लोग इंटरनेट के साथ एमएमएस बनाने वाले लोगों को ज्यादा रेट देकर वीडियो खरीदते हैं। दुकानदारों ने सबका रेट भी फिक्स कर रखा है।
साइबर सेल के पास भी मिल रही हैं शिकायतें
एमएमएस के जरिए लड़कियों को ब्लैकमेल करने की कई घटनाएं रांची में भी सामने आ चुकी हैं। इन मामलों को लेकर कई लड़कियों ने झारखंड सरकार के बनाए साइबर डिफेंस रिसर्च सेल में भी शिकायत की हैं। सेल के चीफ टेक्निकल ऑफिसर विनीत कुमार कहते हैं कि उनके सेल में भी ऐसी कई शिकायतें आ चुकी हैं, जिनमें लड़कियों को ब्लैकमेल किए जाने की घटना है। कई मामले तो ऐसे हैं जिनमें लड़कियों के सोशल साइट्स से फोटो लेकर उसे अश्लील वीडियो में इस्तेमाल किया जा रहा है।
पैसे के लिए बच्चों को भी दे देते हैं अश्लील एमएमएस
चंद रुपए की खातिर दूसरों की इज्जत को बेचने वाले दुकानदार बच्चों के मोबाइल में भी ऐसे वीडियो डाउनलोड करने से परहेज नहीं करते हैं। गाना डाउनलोडिंग के बहाने खुलेआम बच्चों को ब्लू फिल्म और एमएमएस थमा रहे हैं। हालांकि, कुछ दुकानदार बच्चों से कारोबार नहीं करते। डीबी स्टार ने स्टिंग के दौरान मेन रोड और लालपुर चौक में डाउनलोडिंग करने वाले कई दुकानों में स्कूल व कॉलेज के बच्चों को भी देखा। इस संबंध में दुकानदारों का कहना था
कि अगर वह बच्चों को नहीं देंगे, तो कोई दूसरा दे देगा। कंपीटिशन का मार्केट है। ऐसे में वह बच्चों को भी दे देते हैं, लेकिन जो बहुत छोटे होते हैं उन्हें नहीं देते। चंद रुपए कमाने के चक्कर में दुकानदार बच्चों के भविष्य से भी खिलवाड़ कर रहे हैं।

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