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05 दिसंबर 2013

इतना बहा रक्त कि काला हो गया था आम का पेड़,


पानीपत. पानीपत की जमीन पर तीन युद्ध लड़े गए थे, जो सन् 1526, सन् 1556 और सन् 1761 में लड़े गए। पानीपत का तीसरा युद्ध मराठों और मुगलों के बीच लड़ा गया था। मराठों की तरफ से सदाशिवराव भाऊ और मुगलों की ओर से अहमदशाह अब्दाली ने नेतृत्व किया था।
पानीपत की लड़ाइयों के बारे में सबने सुना ही है, लेकिन क्या इससे जुड़ी एक खास बात के बारे में आपने सुना है? क्या आपने सुना है उस पेड़ के बारे में जिसे काटने पर उसमें से खून निकलता था? नहीं सुना? आइए आपको बताते हैं उस पेड़ की कहानी जिसे काटने पर निकलता था खून-
ये बात है सन् 1761 की, जब पानीपत का तीसरा युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध को भारत में मराठा साम्राज्य के अतं के रूप में भी देखा जाता है। इस युद्ध में अहमदशाह अब्दाली की जीत हुई थी।
यहां पर एक स्मारक है जिसका नाम है 'काला अंब'। अंब पंजाबी का शब्द है जिसका मतलब होता है आम (फल)।काला अंब' के साथ एक अनोखा तथ्य जुडा है। कहा जाता है कि पानीपत के तृतीय युद्ध के दौरान इस जगह पर एक काफी बड़ा आम का पेड़ हुआ करता था। लड़ाई के बाद सैनिक इसके नीचे आराम किया करते थे।

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