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23 दिसंबर 2013

पिता की शहादत को बेटे का नमन, बेटी बोली- पापा! प्लीज एक बार तो बोलो



पानीपत/गुड़गांव/चरखी दादरी. दक्षिणी सूडान के अशांत जोंगलेई में गुरुवार को शांति सेना के कैंप पर हुए आत्मघाती हमले में शहीद हुए राजराइफल में सूबेदार मेजर खेड़ी बत्तर गांव धर्मेश सांगवान और भौंडसी के सूबेदार कंवरपाल सिंह राघव सोमवार को अमर हो गए। देश के इन सपूतों के अंतिम संस्कार में राज्य सरकार के कई बड़े प्रतिनिधि और नेता मौजूद रहे, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से कोई नहीं पहुंचा।
भौंडसी गांव में केंद्रीय गृह मंत्रालय से कोई भी अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था। तिरंगे में लिपटे शहीदों को नमन करने के लिए पहुंच हर व्यक्ति की आंखें नम थीं। उधर, शहीद की माता मूर्ति देवी, पत्नी स्नेहलता देवी, पुत्री अंजली राघव और पुत्र तरुण राघव का रोते-रोते बुरा हाल था। लोगों को उम्मीद थी कम से कम बच्चों के भविष्य को देखते हुए शहीद कंवरपाल के परिजनों को आर्थिक मदद की घोषणा की जाए। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ।
दक्षिण सूडान में 20 दिसंबर को हुए एक हमले में शहीद हुए प्रदेश के दो जवानों का सैनिक सम्मान के साथ सोमवार को उनके पैतृक गांवों में अंतिम संस्कार कर दिया गया। हमले में चरखी दादरी के खेड़ी बत्तर गांव के सूबेदार धर्मेश सांगवान और गुड़गांव में भोंडसी गांव के सूबेदार कुमार पाल सिंह मारे गए थे।
दोनों ही जवानों के बच्चे अपने पिता के शहीद होने पर दुखी थे। लेकिन जहां एक तरफ बहादुरी दिखाते हुए पिता संगवान की शहादत को बेटे ने नमन किया वहीं दूसरी ओर धर्मेश की मासूम बेटी बोली- पापा! प्लीज एक बार तो बोलो।

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