आपका-अख्तर खान

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30 दिसंबर 2013

शायद इसीलिए

अभी
वही पुराना साल
बाक़ी है
शायद इसीलिए
मेने क़तअ ताल्लुक़ उससे
इस उम्मीद में फिर से जोड़ा है
शायद
साल खत्म होने से पहले ही
फिर से
मुझ से मेरे लिए
पहले की तरह उनकी वफ़ा
जाग जाए
फिर से वोह हो मेरे
फिर से बने वोह धड़कन मेरी
वोह मेरे साथ हो
वोह मेरे पास हो
बस यूँ ही
ज़िंदगी उनके साथ
उनकी वफ़ा उनके प्यार के साथ
कट जाये
जी हाँ
शायद इसी उम्मीद में
उनसे क़तअ ताल्लुक़
फिर से जोड़ लिया है मेने
कल नये साल की मुबारक के साथ
फ्री हो वोह मेरे पास
फिर हो वोह मेरे साथ
शायद इसी उम्मीद में
फिर से
उनसे रिश्ता जोड़ लिया है मेने ,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर
उनसे यानी सच्चाई ,,सुकून ,,अपनापन ,,

1 टिप्पणी:

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