राजस्थान
में कोंग्रेस की करारी हार के बाद मुख्यरूप से अशोक गेहलोत के नेतृत्व में
हो रही हार पर ज़बरदस्त चिंतन मंथन हो रहा है ,राजनितिक विश्लेषकों का कहना
है के अशोक गेहलोत का नेतृत्व राजस्थान कोंग्रेस को मटियामेट कर देने वाला
और भाजपा को ऐतिहासिक जीत देने वाला रहा है ,,,,,वर्ष उन्नीस सो अठ्यानवें
में कोंग्रेस की जीत के बाद अशोक गेहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया
गया लेकिन इनके मुख्यमंत्री काल में हुए
वर्ष दो हज़ार तीन के विधानसभा चुनाव में कोंग्रेस की ऐतीहासिक हार रही और
भाजपा एक सो पैतीस सीटों पर चुनाव जीती कोंग्रेस तिरेपन सीटों पर सिमट गयी
,,,,,,,,,,,फिर लोकसभा हारे ,अब फिर अशोक गेहलोत को सत्ता दी गयी ,,लेकिन
कोंग्रेस की ऐतिहासिक करारी हार रही और हालात यह रहे के कोंग्रेस को
राजस्थान में ढूंढना पढ़ रहा है ,, राजस्थान में जब जब भी अशोक गेहलोत
मुख्यमंत्री रहे राजस्थान कोंग्रेस का सफाया और ऐतिहासिक सफाया रहा है
,,,,,,,,,,,, राजनितिक विश्लेषकों का कहना है की अशोक गेहलोत की कार्यशैली
से पूरा राजस्थान कोंग्रेस से नाराज़ होकर नेगेटिव वोटिंग करता है जबकि खुद
अशोक गेहलोत का माली समाज भी कोंग्रेस के खिलाफ क्रोधित होकर भाजपा में वोट
डालकर भाजपा को ऐतिहासिक जीत देता है ,,कुल मिलाकर अशोक गेहलोत का नेतृत्व
राजस्थान में मनहूस माना जाने लगा है और भाजपा के लिए इसे ऐतिहासिक जीत
दिलाने वाला माना गया है क्योंकि अशोक गेहलोत के नेतृत्व वाली सरकार में
कोंग्रेस के परम्परागत वोट मुसलमान ,,दलित और खुद इनके समाज के माली लोग
कोंग्रेस के खिलाफ एक जुट होकर गुस्से में वोट डालते है क्योंकि इन वोटर्स
की हालत गेहलोत के राज में बहुत बहुत बुरी रहती है इन समाजों के केवल दलाल
इनके आस पास होते है ,,और नतीजा इन समाजों की कोंग्रेस के खिलाफ नाराज़गी
होती है ,,कोंग्रेस हाईकमान इन्ही मुद्दों का विश्लेषण कर रहा है ,,,,,,,
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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