आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

07 दिसंबर 2013

ऐ मुझे चाहने वाले ऐ मुझे प्यार करने वाले तू ही बता

ऐ मुझे चाहने वाले
ऐ मुझे प्यार करने वाले
तू ही बता
मुझे तुम बहलाते क्यूँ हो
क्यूँ रुलाते हो मुझे
क्यूँ तडपाते हो मुझे
कभी ख़ुशी कभी गम
देते क्यूँ हो ..
कब समझोगे तुम
मेरे दिल
मेरे प्यार
मेरे इक़रार की बातें
कब सोचोगे तुम
मेरी सांसों
मेरी आहों
मेरी सिसकिया
मेरी रातों कि करवटों की कराहटों को
मेरे बिस्तर की सिलवटों
मेरे इंतिज़ार
मेरी बेक़रारी को
हाँ में कहता हूँ
मुझे तुमसे मोहब्बत है
मुझे तुमसे मोहब्बत है
फिर तुम्ही बताओं
में अकेला क्यूँ हूँ
में अकेला क्यूँ हूँ
कभी हँसता हूँ
कभी मुस्कुराता हूँ
कभी रोता हूँ
कभी  बिलखता हूँ
कभी तुममे खोजाता हूँ
कभी बच्चे की तरह ज़िद कर रूठ जाता हूँ
कभी अपनी इस ज़िद पर पछताता हूँ
कभी ज़िद पूरी होने पर खुश हो जाता हूँ
हां मुझे तुम ही बताओं
क्यों कि
तुम्ही कहते हो
के तुम मुझे अच्छी तरह से समझे हो
में ऐसा दीवाना
ऐसा पागल
ऐसा अकेला क्यूँ हूँ ...........अख्तर

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