दोस्तों हमारे देश का क़ानून अजीब है एक व्यक्ति जेल में क़ैदी की हैसियत से रहकर विधानसभा ...लोकसभा का चुनाव लड़ सकता है लेकिन वही व्यक्ति अगर जेल में बंद हो तो मतदाता होने पर भी उसे मतदान का अधिकार नहीं है ..यही है हमारा संविधान यही है हमारा जनप्रतििनिधित्व अधिनियम ...कोटा में इस मामले को लेकर मोहम्मद हुसेन मिस कोल समाज सेवक और उनकी टीम ने आवाज़ उठाई है और कोटा जेल में बंद क़ैदियों के संवेधानिक अधिकार ...वोट देने के अधिकार को लेकर ज़िला कलेक्टर कोटा के माध्यम से भारत के निर्वाचन आयुक्त को ज्ञापन भेजकर आवाज़ बुलंद करने की कोशिश की है ....अब देखना है के भारत सरकार इस मामले में विधि विशेषज्ञों से राय लेकर क्या हुक्म नामा जारी करता है ..केदी होने पर चुनाव लड़ने की तो छूट है लेकिन वोट देने का अधिकार छीन लिया गया है इस हास्यास्पद विरोधाभासी क़ानून के मामले में देखते है कितने समाज सेवक .कितने ह्यूमन राइट्स ..कितने क़ानून विद ...कितने सामजिक सेवा दार ..कितनी राजनितिक पार्टियां और कितने अख़बार वाले ...टी वी के रिपोर्टर आवाज़ बुलंद करते है खबर बनाते है ..सरकार को उसकी गलती ..उसकी मनमानी का अहसास दिलाकर इस क़ानून में संशोधन करवाने का सफलतम प्रयास करते है ................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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