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23 नवंबर 2013

में शब्द हूँ ..हां में निरीह बेबस शब्द हूँ

में शब्द हूँ ..हां में निरीह बेबस शब्द हूँ ....कवि के पास रहता हूँ तो कविता बनता हूँ ....शायर के पास रहता हूँ तो गज़ल बनता हूँ ....पंडित के पास रहता हूँ तो प्रार्थना और मुल्ला के पास रहूँ तो दुआ बन जाता हूँ ..में शब्द हूँ ..गीतकार के पास रहूँ तो गीत बनजाता हूँ ..............नेता के पास रहूँ तो जनता के साथ झूंठा वायदा ..मक्कारी और फरेब बन जाता हूँ ...हां में शब्द हूँ किसी पास प्यार तो किसी के पास नफरत बन जाता हूँ बस डरता हूँ नेताओं से जो मेरे इस्तेमाल से झूंठ फैलते है ..भ्रम फैलाते है ..में शब्द हूँ इसीलिए डरता हूँ ..बुखारी से ..शाहबुद्दीन से ...ओवेसी से .प्रवीन तोडिया से जो मुझे सिर्फ और सिर्फ बांटने और नफरत फैलाने के लिए ही इस्तेमाल करते है ...हा में शब्द हूँ इसीलिए में कभी खुश होता हूँ तो कभी गम में रहता हूँ ..काश मेरा इस्तेमाल देश के विकास ..प्यार ...मोहब्बत ..राष्ट्रिय एकता ..क़ौमी एकता के लिए हो .काश में देश की एक आवाज़ बनूँ में खनकु देश कि नसों में प्यार बनकर ...में हंसु देश में प्यार मोहब्बत का कारोबार देख कर ..में चाहता हूँ कभी न रोऊँ में देश में नफरत और क़त्ल गारत गिरी का कारोबार देख कर में शब्द हु निरीह बेबस में शब्द हूँ .हां में शब्द हूँ .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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