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22 नवंबर 2013

"रिपोर्टर" ----------------


उसने देखा
खून से लथपथ
सड़क के बीचो-बीच
तडफड़ाता आदमी
और कन्नी काटते लोग
वो कैमरा घुमाता रहा
और बनायी उसने
मौक़ा-ए-वारदात की
सच्ची रिपोर्ट
लोग देख शर्मशार थे

उसने देखा आधी रात
पब से निकलती
अकेली लड़की
और उसके इस अपराध पर
बीच सड़क
उसके कपड़े नोचते लोग
और वो .....
उसके अधनंगे जिस्म पर
कैमरा घुमाता रहा
लाइव दिखता रहा
लोगों को सच्ची रिपोर्ट
जनता सकते में थी

उसने देखा
अनशन में
अपनी मांग पूर्ति के वास्ते
एक युवक को खुद पर
मिट्टी का तेल छिड़कते
फिर आग लगाते
भीड़ देखती रही
वो तस्वीर लेता रहा
इस रिपोर्ट पर
लोगों में ...
आग भड़क चुकी थी

उसने देखे
सुनामी, भूकंप
दंगे-फसाद
अँधेरगर्दी, अनाचार
और तैयार की
जाने कितनी ही ख़बरें
आला दर्जे का वो रिपोर्टर
अनगिन पुरस्कारों से नवाज़ा गया
उसने रिपोर्टर होने का फ़र्ज़ निभाया
बाक़ीयों को ..............
आदमी होने का फ़र्ज़ निभाना था !!
~s-roz~

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