आपका-अख्तर खान

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03 नवंबर 2013

एक कड़वा सच

एक कड़वा सच
अगर मुझ में दया नहीं होती
अगर मुझ में करुणा नहीं होती
अगर मुझ में इन्साफ का जज़बा नहीं होता
अगर मुझ में राष्ट्रभक्ति नहीं होती
अगर मुझमे वास्तविक धर्मनिरपेक्षता नहीं होती
अगर मुझे में मेरे देश के लिए मर मिटने का जज़बा नहीं होता
अगर मुझ में सच नहीं होता
अगर मुझे में आज़ादी का जज़बा नहीं होता
अगर मुझे में तिरंगे का सम्मान नहीं होता
अगर मुझ में संविधान का सम्मान नहीं होता
अगर में बेईमान होता
तो ऐ मेरे दोस्त
आज में भी
तेरे तरह देश का प्रधानमंत्री ..मंत्री  या राष्ट्रपति होता ..............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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