एक कड़वा सच
अगर मुझ में दया नहीं होती
अगर मुझ में करुणा नहीं होती
अगर मुझ में इन्साफ का जज़बा नहीं होता
अगर मुझ में राष्ट्रभक्ति नहीं होती
अगर मुझमे वास्तविक धर्मनिरपेक्षता नहीं होती
अगर मुझे में मेरे देश के लिए मर मिटने का जज़बा नहीं होता
अगर मुझ में सच नहीं होता
अगर मुझे में आज़ादी का जज़बा नहीं होता
अगर मुझे में तिरंगे का सम्मान नहीं होता
अगर मुझ में संविधान का सम्मान नहीं होता
अगर में बेईमान होता
तो ऐ मेरे दोस्त
आज में भी
तेरे तरह देश का प्रधानमंत्री ..मंत्री या राष्ट्रपति होता ..............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
अगर मुझ में दया नहीं होती
अगर मुझ में करुणा नहीं होती
अगर मुझ में इन्साफ का जज़बा नहीं होता
अगर मुझ में राष्ट्रभक्ति नहीं होती
अगर मुझमे वास्तविक धर्मनिरपेक्षता नहीं होती
अगर मुझे में मेरे देश के लिए मर मिटने का जज़बा नहीं होता
अगर मुझ में सच नहीं होता
अगर मुझे में आज़ादी का जज़बा नहीं होता
अगर मुझे में तिरंगे का सम्मान नहीं होता
अगर मुझ में संविधान का सम्मान नहीं होता
अगर में बेईमान होता
तो ऐ मेरे दोस्त
आज में भी
तेरे तरह देश का प्रधानमंत्री ..मंत्री या राष्ट्रपति होता ..............
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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