अमेरिका में मंदी: महिलाएं ब्रेस्ट मिल्क, बाल बेचने को मजबूर
वाशिंगटन. 'मंदी' और 'शटडाउन' के चलते अमेरिकी अर्थव्यवस्था
दिन-प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है। दुनिया के इस सबसे शक्तिशाली देश
में बेरोजगारी की समस्या इतनी विकराल होती जा रही है कि महिलाओं को पैसे
की तंगी दूर करने के लिए अपने बाल और 'ब्रेस्ट मिल्क' तक बेचना पड़ रहा
है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं मिडिल क्लास से हैं, जिन्हें अपनों को
बच्चों को पालना मुश्किल हो रहा है। वे उन्हें वैसी सुविधाएं नहीं दे पा
रही हैं, जैसी कि पांच साल पहले मंदी के दौर से पहले दिया करती थीं।
अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, मिडिल क्लास की ये महिलाएं
चलती-फिरती एटीएम बन गई हैं। इनमें से कई को तो मजबूरी में अपने जिस्म का
सौदा भी करना पड़ रहा है। महिलाओं को 'ब्रेस्ट मिल्क' के लिए प्रति ओंस 5
डॉलर मिल रहे हैं। इसके अलावा लंबे घने बालों की बोली 1500 डॉलर तक लगाई
जा रही है।
अमेरिका में हर चार में से एक बच्चा गरीब
अमेरिका में हर चार में से एक बच्चा गरीबी में जीवन बिताने को मजबूर
है। अमेरिका के न्यू हैंपशायर प्रांत स्थित कार्से संस्थान में समाजशास्त्र
की प्रोफेसर जेसिका कार्सन तथा शोधकर्ता एंड्रयू शेफर ने वर्ष 2012 में
किये गए एक शोध में पाया है कि इस प्रांत में गरीबी अपने चरम पर थी। पूरे
देश में एक करोड़ 60 लाख बच्चे गरीबी का अभिशाप झेलने को मजबूर हैं, जिनमें
से 60 लाख छह वर्ष की आयु या उससे कम उम्र के हैं।
रिपोर्ट के अनुसार प्राप्त आंकडों से ज्ञात हुआ कि न्यू हैंपशायर में
पिछले दस वर्षों में गरीबी सबसे निचले स्तर पर थी। वर्ष 2011 के 12 प्रतिशत
के मुकाबले 2012 में रिकार्ड 15.6 प्रतिशत हो गयी जबकि वर्ष 2007 से 2012
तक के आंकडुों पर नजर डाली जाए तो यह इजाफा 75 प्रतिशत से अधिक था। वर्ष
2007 में अमेरिका में आई महामंदी से पहले एक करोड़ 31 लाख बच्चे निर्धन हो
गए थे। अमेरिका कुछ इलाकों में सुशासन की मजबूत नीतियों से बाल गरीबी निचले
स्तर पर है। यह शोध कार्य वर्ष 2007, 2011 तथा 2012 में अमेरिकी सामुदायिक
सर्वेक्षण पर आधारित है।
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