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05 अक्तूबर 2013

कोई जंगल में जा ठहरे


कोई जंगल में जा ठहरे
किसी बस्ती में बस जाए
मुहब्बत साथ होती है
मुहब्बत ख़ुशबुओं की लय
मुहब्बत मौसमों की धुन
मुहब्बत आबशारों के बहते पानियों का मन
मुहब्बत जंगलों में रक़्स करती मोरनी का तन
मुहब्बत बर्फ पड़ती सर्दियों में धूप बनती है
मुहब्बत चिलचिलाते गर्म सहराओं में ठंडी छांव की मानिंद
मुहब्बत अजनबी दुनिया में अपने गांव की मानिंद
मुहब्बत दिल, मुहब्बत जां
मुहब्बत रूह का दरमां
मुहब्बत मूरती है
और कभी जो दिल के मंदिर में कहीं टूट जाए तो
मुहब्बत कांच की गुड़िया
फ़िज़ाओं में किसी के हाथ से गर छूट जाए तो
मुहब्बत आइना है कर्ब का
और फूट जाए तो
मुहब्बत रोग होती है
मुहब्बत सोग होती है
मुहब्बत शाम होती है
मुहब्बत रात होती है
मुहब्बत झिलमिलाती रात में बरसात होती है
मुहब्बत नींद की रूत में हंसीं ख़्वाबों के रस्तों पर
सुलगते, जां को आते, रतजगों की घात होती है
मुहब्बत जीत होती है
मुहब्बत मात होती है
मुहब्बत ज़ात होती है

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