हिन्दू भी ग़मज़दा हैं और मुस्लिम भी ग़मज़दा
दंगाई खुश हैं लाशों की तादाद देखकर....!
.....................
जलता और सुलगता मुज़फ्फर नगर
फ़िरक़ावाराना फ़सादात ..की उठती
लपटें, ..............
रोते बिलखते लोग, ........
ख़ून से लतपथ सड़कों और चौराहों पर
हर रोज़ पड़ी लाशें, ........
सरकार और सरकारी मशीनरी पर
से लोगों का उठता विश्वास,
पूरी उम्र खपा कर अपने ख़ून और पसीने की
कमाई से बने अपने आशियाने (घर)..........
को जलता हुआ देखतीं बेबस, असहाय, बूढ़ी
आँखें..................
.......................
आख़िर कौन है इन सबका ज़िम्मेदार......
बेबस और नकारी सरकारें,..........
गूँगी बहरी दिल्ली..........
या फ़िर जाति और मज़हब के नाम पर की जाने वाली गंदी सियासत...........
............................
.............................
शायद इन सवालों के जवाब न तो......
हमारी सूबाई हुकूमत के पास है.......और न ही
मरकज़ी हुकूमत के पास........
क्योंकि उनके पास वक़्त नहीं है..........
अभी उन्हें ढेर सारे लैपटाप बाँटने हैं,
अभी उन्हें संसद में ढेर सारी खोखली..योजनाओं पर बहस करानी है....
ताकि आने वाले लोकसभा चुनाव में.....उनके
वोट बैंक मज़बूत हो सकें......!
इन्हें कोई परवाह नहीं........
लोग मरते हैं तो मर जायें........
घर जलते हैं तो जलते रहें, ..........
लाशें और बिछ जायें कोई फ़िक्र नहीं........
......................
अफ़सोस इनकी सोच और इनकी सियासत पर........
और गर्व (फ़ख्ऱ) भी के हमें आज़ाद हुये ६७ साल होगये................
.................लेकिन..याद रखना
सियासी भेड़ियों............
जौहर साहब का वो शेर......के.....
......................
हवेली झोंपड़ी सबका मुक़द्दर फ़ूट जायेगा
अगर ये साथ हिन्दू मुस्लिमों का छूट जयेगा
दुआ किजिये के हम में प्यार के रिश्ते रहें क़ायम
ये रिश्ते टूट जायेंगे तो भारत टूट जायेगा..! shahzada kaleem
nice.
जवाब देंहटाएं