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10 सितंबर 2013

जज ने फैसले में कहा, दोषियों जैसा 'गुनाह' आज तक न देखा गया और न सुना गया



नई दिल्‍ली। दामिनी गैंगरेप केस में कोर्ट का फैसला हो गया है। 16 दिसंबर 2012 की रात चलती बस में पैरामेडिकल छात्रा ‘दामिनी’ के साथ दरिदंगी करने वाले गुनहगारों को साकेत कोर्ट के अतिरिक्‍त सत्र न्‍यायाधीश योगेश खन्‍ना की अदालत ने दोषी ठहराया। अदालत आरोपी मुकेश, विनय शर्मा, पवन गुप्‍ता और अक्षय ठाकुर को दामिनी की हत्‍या, सामूहिक बलात्‍कार और अप्राकृतिक सेक्‍स का दोषी करार दिया। सभी दोषियों की सजा पर बहस 11 सितंबर को होगी। इन्‍हें कम से कम उम्रकैद और अधिकतम सजा-ए-मौत हो सकती है। फैसला सुनते ही आरोपी विनय कुमार रोने लगा, जबकि बाकी तीन आरोपी सहमे हुए खड़े रहे। दामिनी के माता-पिता ने दोषियों के लिए फांसी मांगी है। उन्‍होंने कहा, 'जज ने उन्‍हें दोषी करार दिया है। उन्हें फांसी होनी चाहिए। इससे कम कोई सजा नहीं। मेरी बेटी को न्‍याय मिलेगा।'
अदालत ने माना है कि यह एक सुनियोजित तरीके से किया गया अपराध था, जिसमें दोषियों ने यूनिक मोडस ओप्रेंडी अपनाई, जो दामिनी की मौत की वजह बनी। अदालत ने अपने फैसले में कहा, दोषियों ने गैंग रेप करने के बाद रॉड को पीडि़ता के गुप्‍तांग में कई बार डाला जोकि गैंग रेप के किसी मामले में कभी नहीं देखा गया और न ही सुना गया। दोषियों ने जानबूझकर ऐसा किया।

अदालत ने चारों आरोपियों को हत्या, सामूहिक बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध समेत आईपीसी की 11 धाराओं के तहत दोषी करार दिया गया है। इन्‍हें 13 धाराओं के तहत अदालत ने दोषी करार दिया है। अदालत का जजमेंट 230 पन्‍नों का है। अदालत ने माना है कि यह एक सुनियोजित तरीके से किया गया अपराध था, जिसमें दोषियों ने Unique modus operandi अपनाई, जो दामिनी की मौत की वजह बनी। अदालत ने अपने फैसले में कहा, 'दोषियों ने गैंग रेप करने के बाद पीडि़ता के गुप्तांग में कई बार रॉड डाला जो कि गैंग रेप के किसी मामले में कभी नहीं देखा गया और न ही सुना गया। दोषियों ने जानबूझकर ऐसा किया।'

अदालत के फैसले के बाद दिल्ली पुलिस के अधिकारी काफी खुश नजर आए। जैसे ही अदालत ने चारों आरोपियों को सजा सुनाई तो अदालत में मामले से जुड़े अधिकारी एक दूसरे से हाथ मिलाने लगे। हालांकि दोषियों के वकील ने फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि सत्ता और राजनीति के दवाब में यह फैसला सुनाया गया है। आरोपी विनय और अक्षय के वकील एसपी सिंह ने कहा कि इस फैसले से दिलों में गर्मी पैदा हुई है। अदालत में अभियोजन पक्ष के साक्ष्य माने गए, लेकिन बचाव पक्ष के सबूत, सबूत नहीं माने गए। अदालत ने सभी आरोपित धाराओं के हिसाब से उन्हें दोषी करार दिया जबकि चार दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर वारदात से पहले ही महाबोधि एक्सप्रेस से अपने बिहार स्थित गांव में जा चुका था। यानी आरोपी वारदात की वक्त था ही नहीं जबकि उसे अदालत ने दोषी करार दिया। उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से सत्ता के दबाव में आकर सुनाया गया है। वकील ने कहा कि युवती ने अपने बयान में यह कहा था कि उसके साथ केवल दो लोगों ने ही बलात्कार किया, जो राम सिंह और नाबालिग आरोपी ने किया था।  लेकिन अदालत ने अन्य को भी बलात्कार की धाराओं में दोषी माना। दोषियों के वकील ने इस फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात भी कही है।
अदालत के फैसले के दौरान आरोपी राम सिंह के बुजुर्ग माता-पिता भी कोर्ट में मौजूद थे, लेकिन फैसले के बाद उन्होंने मीडियाकर्मियों से बात करने से इंकार कर दिया। राम सिंह की रहस्‍यमय परिस्थितियों में जेल में मौत हो गई थी। आरोपी विनय और अक्षय के वकील एसपी सिंह इस फैसले से दिलों में गर्मी पैदा हुई है। अभियोजन पक्ष के साक्ष्‍य माने गए, लेकिन हमारे सबूत, सबूत नहीं माने गए।
16 दिसंबर क्रांति ऑफिशल नाम एक ग्रुप अदालत परिसर के बाहर मौजूद था, जो दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहा था। यह ग्रुप 16 दिसंबर 2012 की घटना के बाद बना है।

इससे पहले इस मामले के नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 31 अगस्‍त को तीन साल कैद की सजा सुना चुका है। मुख्‍य आरोपी बस चालक राम सिंह तिहाड़ जेल में कथित तौर पर  फांसी लगाकर खुदकुशी कर चुका है।  अदालत ने 5 सितंबर को मामले में अंतिम जिरह पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जज योगेश खन्‍ना की अदालत ने 5 सितंबर को मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें आरोपियों के वकील ने जिरह के लिए कुछ और समय मांगा था। अदालत ने बचाव की याचिका को खारिज करते हुए कहा,  ‘आपने इस मामले के फैसले को बहुत टाल दिया है और इस मामले में मैं 10 सितंबर को  फैसला दूंगा।‘
राजनीतिक दलों ने भी दोषियों के लिए फांसी की मांग की है। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि कानून में बदलाव हुए हैं और नए बदलावों के तहत अगर इन आरोपियों को फांसी की सजा दी जाती है, तो यह अपनी तरह का पहला निर्णय होगा। इस फैसले से गैंगरेप के मामलों की आई बाढ़ पर भी रोक लगेगी।
सीपीएम नेता वृंदा करात ने कहा कि चारों आरोपियों को दोषी करार दिया यह अच्छी बात है, लेकिन फैसला आने में नौ महीने का समय नहीं लगना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस मामले में सभी साक्ष्य मौजूद थे उसके बाद भी इतना समय लगा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य बलात्कार के मामलों में क्या होता होगा। वृंदा करात ने कहा कि बलात्कार के मामलों में समय सीमा निर्धारित होनी चाहिए।

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