दोस्तों
विधानसभा चुनाव का दोर शुरू हुआ है कोंग्रेस भाजपा में टिकिट चाहने वालों
की भीड़ लगी है ..सभी जानते है के हर बार जिला अध्यक्ष प्रदेश पर और प्रदेश
अध्यक्ष हाईकमान पर टिकिट के फेसले छोड़ता है लेकिन फिर भी अनावश्यक मशक़्क़त
इन पार्टियों में होती है ..इसका असर यह होता है के टिकिट मांगने वाले लोग
अपना बायो दाता लेकर इधर उधर भटकते रहते है ..चाय पार्टियों और आने जाने
में रुपया खर्च करते नज़र आते है ....ऐसे में कई प्रत्याक्षी तो मानसिक रोगी
भी हो जाते है तो जनाब चुनाव आने के बाद हर जिले में मानसिक रोगियों के
इलाज के लियें अलग से वार्ड की जरूरत पढने लगती और ऐसे वार्ड का नाम अगर
सियासी टिकिट प्राप्त करता निराशावार्ड मानसिक रोगी वार्ड रखा जाए तो भी
यह यह वार्ड इन दिनों ऐसे मरीजों से भर जायेंगे ....
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