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06 अगस्त 2013

दरख़्त की शिराओं से - पूछो कैसे बीती जिन्दगी,

दरख़्त की शिराओं से -
पूछो कैसे बीती जिन्दगी,
चिलचिलाती धुप -
पुरवैया हवाओं से पूछो
कंपकंपाती तीखी सर्द फिजाओं से -कि
कैसे जिस्म हो जाता है -कंगाल
रूह कैसे हो जाती है फ़ना -
मौसम से नहीं - मेरी
मरती -चटखती हुई शिराओं से -
पूछो कैसे बीती जिन्दगी .

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