आपका-अख्तर खान

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05 जुलाई 2013

जान मेरी ! मैं अभी

जान मेरी !
मैं अभी
खुद तलाश में हूँ
जवाब के ..
मिल जाये मुझे तो
भेजूंगी तुम्हें भी ,
कि
इश्क चीज़ क्या है ?

कि नदी क्यूँ उफनती है
समंदर से मिलने ,
कि शमा क्यूँ जलती गलती है
परवाने के अंग संग ,
कि धरती क्यूँ गमकती है
बारिश कि पहली बूंदों से ,
कि कोयल क्यूँ बौराती है
अमिया के फूलने पर
कि चाँद और चकोर का
क्या नाता है आपस में ,
कि चातक क्यूँ तरसता है
स्वाति की इक बूंद को,
कि बीज !
धरती की कोख में उतरकर
कैसे पाता है
नया आकार ,
कि क्यों तुम्हारा ज़िक्र -
जैसे
शंखों और अजानों की
गूंज ,
कि क्यों तुम्हारी याद की छुवन
जैसे
स्थिर ताल में
कंकर से बनी लहर ,
कि क्यों तुमसे मिलने की ललक
कच्चे घड़े से पार करती नदी ,
कि क्यों दुआओं में
तुम्हारे नाम करती
अपनी सारी खुशियाँ
और अपनी पूरी जिंद .
जान !
पहले मैं जान लूं
इन सबके मतलब
तब फिर तुम्हें भी
समझाऊं मानी
मुहब्बत के ............!

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