मुझे पता है
में डूबता सूरज हूँ
मुझे पता है
बहुत जल्द अब में
बादलों की ओट में डूब जाउंगा
इसीलियें तो
तुम मुझ से अलग हो गए
चलो अच्छा हुआ
तुम्हे निजात मिली
मेरे डूब जाने के गम से
बस
खुदा से मेरी
एक ही इल्तिजा है
ऐ खुदा
मेरे डूब जाने के बाद
उनकी जिंदगी में
तू अँधेरा न करना
ऐ खुदा
उनको तो चांदनी की निर्मल ताज़ी चांदनी की रौशनी देना
उनकी जिंदगी में
मेरे डूब जाने के बाद अँधेरा न रहे
बस इसीलियें
उनकी जिंदगी चांदनी की रौशनी से रोशन रहे आबाद रहे
वोह खुश रहे
वोह खुशहाल रहे
बस खुदा से
यही मेरी इल्तिजा है ..
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
में डूबता सूरज हूँ
मुझे पता है
बहुत जल्द अब में
बादलों की ओट में डूब जाउंगा
इसीलियें तो
तुम मुझ से अलग हो गए
चलो अच्छा हुआ
तुम्हे निजात मिली
मेरे डूब जाने के गम से
बस
खुदा से मेरी
एक ही इल्तिजा है
ऐ खुदा
मेरे डूब जाने के बाद
उनकी जिंदगी में
तू अँधेरा न करना
ऐ खुदा
उनको तो चांदनी की निर्मल ताज़ी चांदनी की रौशनी देना
उनकी जिंदगी में
मेरे डूब जाने के बाद अँधेरा न रहे
बस इसीलियें
उनकी जिंदगी चांदनी की रौशनी से रोशन रहे आबाद रहे
वोह खुश रहे
वोह खुशहाल रहे
बस खुदा से
यही मेरी इल्तिजा है ..
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।
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