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04 जुलाई 2013

सीपी जोशी मामले में कांग्रेस प्रभारी कामत ने दिया चौंकाने वाला बयान



जयपुर।कांग्रेस के प्रभारी महासचिव गुरुदास कामत ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीपी जोशी को लेकर दिए एक बयान ने पार्टी में नई सियासी चर्चाओं को जन्म दे दिया है। पार्टी पदाधिकारियों से मुलाकात के बाद कामत से जब सीपी जोशी के प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में नहीं आने की बात कहने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, उन्हें कुछ गलतफहमियां थीं, जिन्हें क्लियर कर दिया गया है। अब कोई इश्यू नहीं बचा है। पार्टी में कोई ग्रुपिज्म (गुटबाजी) नहीं है। कामत का यह बयान प्रदेश में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस की सियासत के नए मायने सामने ला रहा है।


गुरुदास कामत बनाम मुकुल वासनिक
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विरोधियों ने तत्कालीन प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक के खिलाफ अभियान चलाया था कि वे एक खेमे विशेष का समर्थन करते हैं और दूसरे खेमे के नेताओं को तरजीह नहीं देते। हाईकमान ने विकल्प के तौर पर कामत को लगाया तो गहलोत विरोधी एकबारगी खुश हुए थे, लेकिन कामत के इस बयान ने गहलोत विरोधियों को बड़ा झटका दिया है।

कांग्रेस में दो पद किसी भी नेता के पास नहीं रहेंगे  
कामत ने कहा कि पार्टी में दो पद किसी भी नेता के पास नहीं रहेंगे। जिन नेताओं के पास दो पद हैं उन्हें हर हाल में एक पद छोडऩा होगा, यह व्यवस्था जल्द लागू हो जाएगी। चुनाव कमेटियां सहित अन्य कमेटियां बनाने के सवाल पर कामत ने कहा कि एक सप्ताह के अंदर सभी तरह की कमेटियां बना दी जाएंगी।

जोशी ने कहा था, मैं तो आना ही नहीं चाहता था क्योंकि सीएम के कुछ रिजर्वेशंस हैं  
जून के आखिर में हुई कांग्रेस प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में राष्ट्रीय महासचिव और सीडब्ल्यूसी सदस्य डॉ. सीपी जोशी का भाषण खूब चर्चित रहा था। जोशी ने कहा था कि मैं तो बैठक में आना ही नहीं चाहता था, क्योंकि मुख्यमंत्री के कुछ रिजर्वेशंस हैं, कामत साहब के आग्रह को मैं टाल नहीं पाया। जोशी ने मुख्यमंत्री को इंगित करके यह भी कहा था कि सत्ता में वापसी के लिए आपको शिवजी की तरह जहर पीना पड़ेगा।

गलतफहमियां और उन्हें दूर करने के मायने क्या ? 
सीपी जोशी को गलतफहमियां होने और उन्हें दूर करने के कामत के बयान को राजनीतिक प्रेक्षक अंदरूनी शक्ति संतुलन के अहम संकेत के रूप में देख रहे हैं। सीपी जोशी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलग अलग खेमे माने जाते हैं। जोशी के गहलोत के कुछ मुद्दों पर वैचारिक मतभेद भी माने जाते हैं। प्रदेश की राजनीति में इन्हीं वैचारिक मतभेदों और गहलोत के चहेते नेताओं को आगे बढ़ाने की नीति को जोशी ने सीएम के रिजर्वेशंस बताया।

गलतफहमी बनाम खुशफहमी 
कामत के बयान के मायने ये लगाए जा रहे हैं कि गहलोत के रिजर्वेशंस आज की स्थिति में पार्टी के लिए आवश्यक बुराई के रूप में ही सही लेकिन उन्हें स्वीकार करना ही होगा। राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक चुनावी साल में मुख्यमंत्री के रिजर्वेशंस  को मानकर ही सभी नेताओं को आगे बढ़ाने की हिदायत दी गई है। इस बयान से यह भी साफ हो गया है कि सीपी जोशी अब उन रिजर्वेशंस को अनदेखा करके भी सही लेकिन एक धारा में बहने को तैयार हो गए हैं। कामत के कहने के यह भी अर्थ हैं कि ये गलतफहमियां कुछ खुशफहमियों की वजह से पैदा हुई थीं।

गलतफहमी का सियासी अर्थ क्या? 
कहने को तो गलतीफहमी तालमेल की थी, लेकिन सियासी तौर पर इसका मतलब ये है कि सीपी मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन अब इस बारे में उनकी गलतफहमियां दूर कर दी हैं।

चुनाव जीतने के लिए समन्वय जरूरी
कामत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पार्टी नेताओं में समन्वय होगा, तभी चुनाव जीता जा सकेगा। समन्वय के बिना चुनाव नहीं जीता जा सकता। नीचे के स्तर तक समन्वय बनाया जाएगा। निचले स्तर पर समन्वय बनाने के लिए भी हम नेताओं को एक साथ बैठाएंगे। मेरी जानकारी में यहां कोई गुटबाजी नहीं है, एक दो व्यक्तियों का मामला होना कोई बड़ी बात नहीं है।

'30 फीसदी विधायकों के टिकट बदलो'
प्रदेश के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच आपसी गुटबाजी खुलकर सामने आने लगी है। गुरुवार को खासाकोठी में प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों ने प्रभारी महासचिव गुरुदास कामत को वन टू वन चर्चा के दौरान दो टूक शब्दों में कहा कि मौजूदा विधायकों में से 25 से 30 फीसदी को नहीं बदला तो सत्ता में आना मुश्किल है। इन विधायकों के प्रति उनके क्षेत्र में विपरीत हवा है। ऐसे लोगों को टिकट दिया तो पार्टी के लोग ही उन्हें हरा देंगे। इन पदाधिकारियों में से कुछ ने फीड बैक देने के साथ कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं मिलने का भी मुद्दा उठाया, जिसमें कार्यकर्ताओं के काम नहीं होने, पद नहीं देने आदि की बाते प्रमुख रही।

विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी की स्थिति के बारे में जानकारी लेने के लिए पदाधिकारियों से वन टू वन मुलाकात में कामत ने पदाधिकारियों से पांच सवाल पूछे। साथ ही उनसे अपनी तरफ से राय देने की छूट दी गई। इन सवालों में कहां के प्रभारी हो, एमएलए कौन, एमएलए की स्थिति क्या है, चुनाव में दावेदारी कौन कर रहे हैं, जिले में कितनी सीटें कांग्रेस की है और आगे कितनी आएंगी? कामत ने पदाधिकारियों से खुलकर पक्ष रखने का मौका दिया और कहा कि जो भी स्थिति हो वास्तविक रूप से बयां करें। कामत प्रभारी पदाधिकारियों के उनके स्वयं के क्षेत्र के बारे में भी जानकारी ली, जहां के वे रहने वाले हैं। पदाधिकारियों ने सामान्य जानकारी देने के साथ वर्तमान विधायकों की स्थिति, विधायकों के रवैये, लोगों में उनके प्रति धारणा और काम करने के तरीके के बारे में बताया।

गुटबाजी को छोड़कर पार्टी के काम में लगे कार्यकर्ता
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुरुदास कामत ने शाम को प्रदेश सचिवों से मुलाकात की और उनसे फीड बैक लिया। वे सचिवों से सुबह के कार्यक्रम में नहीं मिल पाए थे। इस बातचीत में सचिवों ने भी लगभग वहीं बात दोहराई जो सुबह उपाध्यक्षों और महासचिवों ने कही। कामत ने कहा कि जब सरकार इतना बढिय़ा काम कर रही है तो इसका प्रचार क्यों नहीं हो रहा? उन्होंने गुटबाजी को छोड़कर पार्टी के काम में लग जाने का आह्वान किया।

कामत ने अपरान्ह 4 बजे महिला कांग्रेस का कार्यकारिणी, उसके बाद सेवादल, एनएसयूआई और अंत में युवक कांग्रेस के पदाधिकारियों से परिचयात्मक चर्चा की और पार्टी के बारे में फीडबैक लिया।  कामत ने सभी पदाधिकारियों को अगले चुनाव के लिए अभी से जुट जाने के निर्देश दिए।

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