पाकुड़/दुमका/रांची. नक्सली हमले में शहीद हुए पांच बॉडीगार्ड सहित शहीद हुए पाकुड़ के एसपी अमरजीत बलिहार (
की मौत पर भले ही मातम मनाया जा रहा है लेकिन शहीद हुए इन लोगों के साथ
जैसा सलूक हुआ वह बेहद शर्मनाक है। वारदात के बाद मौके से शहीद जवानों के
शव घसीट कर ले जाए गए और ट्रकों में लादे गए(तस्वीर में)। दूसरी
तरफ, अमरजीत के शहीद होने की सूचना के बावजूद रांची स्थित पुलिस मुख्यालय
का कोई अफसर उनके आवास ढांढस बंधाने नहीं पहुंचा। जबकि शहीद का आवास रांची
में है। पूर्व डीजीपी को छोड़ किसी सीनियर अफसर ने शहीद के परिवार की सुध
नहीं ली। शाम में एसपी विजिलेंस राजकुमार लकड़ा, एसपी वायरलेस चंद्रशेखर
प्रसाद, डीआईजी रांची जोन शीतल उरांव, एसएसपी साकेत कुमार सिंह पथलकुदवा
स्थित आवास पहुंचे। (पढें, अब जूतों के चलते नक्सलियों से मात नहीं खाएंगे जवान)
इधर, भाकपा माओवादी के सिद्धांतकार वारवरा राव ने कहा है कि क्रांति के रास्ते में ऐसी कार्रवाई जायज
है। हमले के पीछे माओवादी जोनल कमांडर प्रवीर दा उर्फ हिरेंद्र के दस्ते
का हाथ बताया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल से भी
माओवादी दस्ता आया था। हालांकि किसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली
है। प्रवीर दा का क्षेत्र में अच्छा-खासा आतंक है। उनके दस्ते में जोनल
कमांडर रामलाल राय (जेल में) का भाई भी शामिल है।
संदेह के घेरे में ड्राइवर?
एसपी जिस स्कॉर्पियो पर सवार थे, वह निजी था। इसलिए ड्राइवर भी निजी था। एक पुलिस अफसर का कहना है कि अगर ड्राइवर के मोबाइल कॉल डिटेल निकाले जाएं, तो कई राज सामने आएंगे।
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