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24 जुलाई 2013

ऐ बेवफा सनम

ऐ बेवफा सनम
यह आज फिर
क्या कर डाला तूने ..
बुझा तो दी थी
सीने में सुलगती
तेरे प्यार की आग मेने
फिर आज तूने
फिर से
राख बने
इन सूखे हुए
प्यार के कोयलो में
प्यार की चिंगारी क्यूँ जलाई है
बुझा तो दी है मेने
दिल में सुलगती
तेरे प्यार की यह आग
फिर क्यूँ
आज सुबह एक चिंगारी जलाकर
तुमने राख हुए इस प्यार को
धधकते शोलों में बदल डाला है
क्या कहूँ
क्यूँ कहूँ
मेरे लियें तुम्हारे तो सो खून माफ़ है ....
सो खून माफ़ है

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