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26 जून 2013

अब एक क्लिक पर पेरेंट्स भी देख सकेंगे बच्चे ने परीक्षा में क्या लिखा


कोटा। इंजीनियरिंग छात्रों के अभिभावक परीक्षा के बाद अपने बच्चों की कॉपियां एक क्लिक पर देख सकेंगे। राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी (आरटीयू) में नवंबर-दिसंबर,2013 सेमेस्टर परीक्षा से कॉपियां जांचने का काम ऑनलाइन कर दिया जाएगा। बाद में इसे सभी सेमेस्टर परीक्षाओं पर लागू किया जाएगा।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि छात्रों को कॉपियां देखने के लिए यूनिवर्सिटी के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। उन्हें ईमेल से स्केन कॉपियां भेज दी जाएगी, जिसे उनके पेरेंट्स भी घर बैठे देख सकेंगे।  कंप्यूटर पर कॉपी चेक करते समय लेक्चरर जल्दबाजी नहीं कर सकेंगे।

प्रत्येक सिस्टम के साथ टाइमर लगा होगा, जिससे एक्जामिनर को प्रत्येक कॉपी को निर्धारित समय तक चेक करना होगा। इतनी ही नहीं, 10 नंबर के प्रश्न में इससे ज्यादा नंबर देने पर कंप्यूटर उसे स्वीकार नहीं करेगा, जिससे मार्कशीट में गलतियां नहीं आएंगी। सभी प्रश्नों को चेक करने के बाद टोटलिंग या किसी प्रश्न को चेक करने से छूट जाने जैसी गलतियां नहीं होंगी।


स्क्रीन पर चेक होगी कॉपियां
परीक्षा नियंत्रक प्रो.एन पी कौशिक के अनुसार, राज्य के सभी परीक्षा केंद्रों से कॉपियां पहले रीजनल सेंटरों पर पहुंचेगी। वहां कॉपियों की कम्प्यूटर पर स्केनिंग व कोडिंग की जाएगी। इस सॉफ्ट कॉपी को सर्वर पर अपलोड किया जाएगा। ऐसे कॉलेज जहां 50 से 100 कंप्यूटर होंगे, वहां एक्जामिनर स्क्रीन पर कॉपियां चेक करेंगे। हर प्रश्न का सही जवाब भी उनके सामने डिस्प्ले होगा। मार्किंग की रिकार्डिंग भी साथ-साथ होगी। इससे रिजल्ट बहुत जल्द तैयार हो जाएंगे।

नहीं मिल पा रहे 10 हजार एक्जामिनर
ञ्चप्रतिवर्ष 35 लाख कॉपियों की जांच के लिए 10 हजार से ज्यादा एक्जामिनर चाहिए जो नहीं मिल रहे। कॉपियां मैन्युअल चेक करते समय टोटल में त्रुटि, प्रश्न जांचने से छूट जाने, सही नंबर मेन पृष्ठ पर नहीं चढ़ाने जैसी गलतियां सामने आ रही हैं।

संदेह के चलते 30 फीसदी से ज्यादा छात्र रिवेल के लिए आवेदन कर रहे हैं।छात्रों को कॉपी दिखाने के लिए बंडल में से कॉपियां निकालना मुश्किल होता है।
आगे यह होगी व्यवस्था
ञ्च ऑनलाइन मूल्यांकन से राज्य के बाहर के प्रोफेसरों को भी कॉपियां ईमेल की जा सकेंगी, उन्हें यहां आने की जरूरत नहीं होगी।

रिवेल के मामले कम हो जाएंगे। कॉपी दिखाने के लिए कंप्यूटर पर रोल नंबर फीड करते ही कॉपी सामने होगी।
रिजल्ट घोषित करने में एक माह से कम समय लगेगा।

पेपर भी डिजिटल होंगे
कई कॉलेजों में पेपर लीक होने की घटनाओं को रोकने के लिए आरटीयू सभी परीक्षा केंद्रों पर डिजिटल पेपर भेजने की योजना बना रहा है। डिजिटल पेपर होने से प्रिंटिंग मिस्टेक के मामले कम हो जाएंगे। ये पेपर आधे घंटे पहले सेंटर पर पहुंचेंगे, जिसकी कैमरे में लाइव रिकार्डिंग भी होगी। इसके लिए ऐसे सर्वर व मशीनें लगाई जाएंगी जिनका दूसरी मशीनों से कनेक्शन नहीं होगा। उन्हें यूपीएस बेकअप के साथ कड़ी सिक्योरिटी दी जाएगी।


॥अभी गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित देश की चुनिंदा यूनिवर्सिटी में ही कॉपियां ऑनलाइन चेक की जा रही हैं। इससे छात्रों का मूल्यांकन निष्पक्ष व पारदर्शी रहेगा।
- प्रो.आरपी यादव, कुलपति, आरटीयू

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