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19 जून 2013

कुदरत का कहर : 'चारों तरफ लाशें हैं, उनके बीच से पत्ते बीनकर खा रहा हूं'



उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों में अब भी हजारों लोग फंसे हुए हैं। हालांकि मंगलवार देर रात ट्राईसिटी के कुछ लोग सकुशल शहर लौट आए। इनमें शामिल हैं हेमकुंड साहिब के दर्शन को गए चंडीगढ़ के हरप्रीत सिंह और मोहाली के विक्रम सिंह। इस यात्रा के दौरान उन पर क्या गुजरी, कैसे कटे एक-एक पल भास्कर के रीडर्स के लिए उन्हीं की जुबानी। वहीं, किन्नौर में सैकड़ों पर्यटक अब भी फंसे हुए हैं, जिनमें चंडीगढ़ के दो एडवोकेट मोहित व विक्रांत नंदा और सुरेंद्र राणा शामिल हैं। उन पर क्या बीत रही है, यह भी जानिए उन्हीं की जुबानी।
चंडीगढ़. सेक्टर-40 में रहने वाले हरप्रीत सिंह परिवार के साथ 12 जून को हेमकुंड साहिब के लिए निकले थे। हरप्रीत और उनके परिवार को हर पल कुदरत के कहर का सामना करना पड़ा, सामने मौत का मंजर था, लेकिन रुकने के हालात नहीं थे। उनकी आपबीती...
15 जून
सुबह गोविंदधाम से 6 बजे बारिश के बीच हेमकुंड साहिब के लिए निकले। चलने में दिक्कत आ रही थी तो महिलाओं के लिए घोड़े और बच्चों के लिए पिट्ठू ले लिए। लगातार बारिश से रास्ता खराब हो चुका था। बर्फ की वजह से फिसलन बहुत थी। तभी हमसे आगे चल रहा एक घोड़ा और उस पर सवार दो लड़कियां अचानक ही खाई में गिर गईं। शोरगुल मचा, लोग थोड़ी देर को रुके, लेकिन न तो घोड़े का पता चला, न लड़कियों का।
16 जून
सुबह 6 बजे गोविंदघाट के लिए निकले। 2 किमी. ही चले होंगे कि पहाड़ से इतना पानी आया कि घोड़ा और पिट्ठू छोडऩा पड़ा। बच्चों और महिलाओं के साथ तेज बारिश में पैदल ही आगे चल पड़े। आगे हालात और बिगड़ गए, पहाड़ से आने वाले नाले का बहाव इतना तेज था कि उसे पार करना मुश्किल लगा। ऐसे में युवकों ने महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को पार करने का बीड़ा उठाया। ऐसा कई बार हुआ। आगे जाकर देखा तो ढाबे वाले ढाबे बंद करके नीचे जा रहे थे। रास्ते में पानी फिर पुल को छू रहा था। यहां फिर युवाओं ने बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को पहले निकालने के लिए मोर्चा संभाला।
17 जून
सुबह उठे देखा कि लगातार बारिश के बीच पत्थर गिरने से रोड बंद हो चुके हैं। कर्णप्रयाग में होटल और करियाने की दुकानें रात में बह चुकी थीं। लोग बचे-खुचे घर छोड़कर ऊपर की ओर जा रहे थे। प्रशासन ने हॉस्पिटल, स्कूलों और दूसरी जगह पर लोगों को ठहराया था। पुलिस दो-दो घंटे बाद रोड खुलने की बात कर रही थी, लेकिन रोड नहीं खुल रही थी। हम 4-5 युवक पैदल आगे बढ़े ताकि पता चले कि रोड कब खुलेगी। 3 डेटोनेटर की मदद से सड़क से मलबा हटाना था, लेकिन एक ब्लास्ट के बाद ही ऊपर से और ज्यादा मलबा रोड पर आ गया। बारिश की वजह से बाकी दो डेटोनेटर मिस हो गए। शाम 5 बजे धूप निकली तो थोड़ी राहत मिली।
18 जून
सुबह बताया गया कि 12 बजे तक सड़क खुल जाएगी, जो 2 बजे खुली। लोकल लोगों ने अपनी दुकानें खाली करके लोगों को सुलाया, अपने घर खाना खिलाया। 2 बजे चले, लेकिन ट्रैफिक इतना ज्यादा था कि नगारसू होते हुए 7 बजे कोटद्वार पहुंचे। यहां भी किसी अजनबी ने हमें अपने घर ठहराया।
19 जून
सुबह 7 बजे कोटद्वार से चलकर नजीबाबाद हरिद्वार होते हुए साढ़े पांच बजे चंडीगढ़ पहुंचे। शुक्र मनाया कि वाहेगुरु की मेहर से सब सलामत यहां पहुंच गए। लेकिन जो असीं भुगतेया ओ किसी नाल न होवे।
मैसेज पर मिलेगा राहत राशि का संदेश
पीजीआई में आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों की मदद के लिए किसी भी राहत कोष से सहायता राशि मिलते ही उस मरीज या संबंधी के मोबाइल पर मैसेज मिल जाएगा कि उसके इलाज के लिए राहत राशि पीजीआई को मिल चुकी है।
पीजीआई ने ऐसे मरीजों के लिए मैसेज के जरिए उनको मिलने वाली आर्थिक मदद की सूचना देने के लिए ये सेवा शुरू कर दी है।
पीजीआई के डायरेक्टर प्रो. वाईके चावला ने बुधवार को एसएमएस अलर्ट की ये सर्विस लॉन्च की। इस सेवा के शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री राहत कोष, मुख्यमंत्री राहत कोष, ईएसआई, नेशनल रूरल हेल्थ मिशन या दूसरी एजेंसियों से मिलने वाली मदद पीजीआई पहुंचते ही आर्थिक रूप से कमजोर पीडि़त मरीज को मोबाइल पर मैसेज मिल जाएगा कि पीजीआई के प्राइवेट ग्रांट सेल में मदद की राशि पहुंच चुकी है। इसके बाद मरीज को मैसेज पर यह सूचना दे दी जाएगी। गौरतलब है कि  कई बार मरीजों को सहायता राशि की जानकारी न मिल पाने से काफी दिक्कत महसूस होती रही है। मगर नई सुविधा से उन्हें काफी आसानी होगी।
कैसे मिलेगा फायदा
इस सर्विस के शुरू होने से न सिर्फ मरीज या परिजनों को राहत राशि जारी होने की जानकारी लेने के लिए बार बार पीजीआई नही आना पड़ेगा। इस सर्विस के शुरू होने से मरीज का इलाज कर रहे डॉक्टर को भी मैसेज के जरिए सूचित कर दिया जाएगा कि मरीज के इलाज के लिए पैसा आ चुका है। इससे मरीज को भी मरीज के इलाज को प्लान करने में आसानी होगी। इस सिस्टम के जरिए प्राइवेट ग्रांट सैल को सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले सामान की कोटेशन और फिर आर्डर देने में भी आसानी होगी।

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