विभाग के हेड प्रो.संदीप पाराशर ने बताया कि यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (यूसीई) में एयरोनॉटिकल ब्रांच का सिलेबस आईआईटी कानपुर, मुंबई, मद्रास व पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ के विशेषज्ञों से चर्चा कर बनाया गया है। पहले दो साल मैकेनिकल इंजीनियरिंग का सिलेबस पढ़ाने के बाद अब तीसरे साल में एयरोडायनेमिक लैब में ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए अत्याधुनिक लैब में सब सोनिक विंड टनल्स बनाए जाएंगे। यहां एयरक्राफ्ट के छोटे स्केल मॉडल पर छात्र हवा के दबाव की स्टडी कर यह पता लगाएंगे कि ये विमान कैसे उड़ सकते हैं। स्ट्रक्चर लैब में यूनिवर्सल टेस्टिंग मशीन लगाई जाएगी जिसमें लोड चेक करेंगे। अंतिम सेमेस्टर के छात्र एवियोनिक्स में इलेक्ट्रॉनिक्स व इंस्ट्रूमेंटेशन कंट्रोल के बारे भी पढ़ेंगे।
पुराने एयरक्राफ्ट लाने का प्रयास
यूसीई निदेशक डॉ.ओपी छंगाणी के अनुसार, यहां पुराने एयरक्राफ्ट उपलब्ध कराने के लिए इंडियन एयरफोर्स, एयरपोर्ट अथॉरिटी व हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड आदि को पत्र भेजा गया है। इनके टर्बोजेट इंजिन व लाइटवेट स्ट्रक्चर पर छात्र स्टडी कर वाइब्रेशन कम करने की तकनीक भी सीखेंगे। यहां दो बैच में 60 स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। इस ब्रांच के लिए हाल ही में दो विशेषज्ञ फैकल्टी सदस्यों केएस भाटी व पंकज शर्मा की नियुक्ति की गई है। राज्य में यह कोर्स यूसीई, कोटा के अलावा स्कूल ऑफ एयरोनॉटिक्स, नीमराना में चल रहा है।
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