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30 जून 2013

राजस्थान वक्फ बोर्ड और कोटा जिला वक्फ कमेटी की मजारो और दरगाहो की बेहुरमती के मामले में उदासीन रवय्ये से कोटा के आम मुसलमान सख्त है और उनका गुस्सा राजस्थान वक्फ बोर्ड कोटा जिला कमेटी सहित कोटा के जनप्रतिनिधियों के खिलाफ बढ़ता ही जा रहा है

राजस्थान वक्फ बोर्ड और कोटा जिला वक्फ कमेटी की मजारो और दरगाहो की बेहुरमती के मामले में उदासीन रवय्ये से कोटा के आम मुसलमान सख्त है और उनका गुस्सा राजस्थान वक्फ बोर्ड कोटा जिला कमेटी सहित कोटा के जनप्रतिनिधियों के खिलाफ बढ़ता ही जा रहा है ......हालात यह है के कोटा में जन्ग्लिशाह बाबा परिसर भंवर शाह तकिया के नाम से इन्द्राज सम्पत्ति के नाम पर कोटा वक्फ कमेटी के लोग बीस लाख रूपये प्रति वर्ष के हिसाब से कमाई के बाद भी दो हफ्ते से परिसर में पढ़े पेड़ को हटा पाए है इतना ही नहीं जन्ग्लिशाह बाबा मजार के अहाते की टूटी पढ़ी कब्रे ..चारदीवारी और आँगन भी जिला वक्फ कमेटी या फिर जिला प्रशासन ठीक नहीं करवा पाया है ........वर्ष उन्नीस सो पैतालीस से स्थापित जन्ग्लिशाह बाबा का मजार कोटा वल्लभबाड़ी में स्थित है ..यहाँ इस परिसर में एक महफील खाना बना हुआ है जबकि दूसरी बेशकीमती अरबो रूपये की जमीन पर पत्थर के स्टोक लगे हुए है ....वर्तमान में राजस्थान वक्फ बोर्ड ने कोटा जिला वक्फ कमेटी और एक इस परिसर के रख रखाव के लियें जिला वक्फ कमेटी के नियंत्रण में कमेटी बनाई है ..दो सप्ताह पहले यहाँ तेज़ अंधड़ से एक बढ़ा बढ़ का पेड़ गिर गया जिससे मजार तो बच गया लेकिन आसपास की कब्रे शहीद हो गयी .पढ़ गिरने से दरगाह परिसर की दीवारे शहीद हो गयीं जबकि परिसर के आँगन को भी नुकसान पहुंचा है ..दरगाह के जानशीन हाजी अज़ीज़ जावा ने इस मामले में जिला प्रशासन ...जिला वक्फ कमेटी से की लेकिन मजारो और कब्रों के प्रति इस कमेटी ने कोई दिलचस्पी नहीं ली शबेरात नजदीक थी इसलियें जानशीन अज़ीज़ जावा ने जन सहयोग से इस पढ़ को दरगाह परिसर से तो हत्वा दिया लेकिन दरगाह की चारदीवारी ..आँगन और कब्रें मरम्मत नहीं हो सकीं ..शबिरात पर परिजनों ने कब्रे तो मरम्मत करा लीं लेकिन परिसर जस का तस बिखरा और टुटा पढ़ा है ...इस मामले में जानशीन द्वारा कोटा जिला प्रशंसन और स्थानीय प्रतिनिधियों को लिखित शिकायत की है ..इस दरगाह परिसर में प्रतिदिन सत्ता पक्ष से जुड़े लोग सो से भी अधिक नमाज़ पढने नियमित आते है जबकि इसी परिसर पर कब्जा कर वक्फ कमेटी कोटा ने अपना कार्यालय बना लिया है जिसमे दस वक्फ के कर्मचारी और बीस वक्फ के पदाधिकारी नियमित रहते है ...इस परिसर से जिला वक्फ कमेटी महफिल खाने और स्टोक वगेरा से लगभग बीस लाख रूपये प्रति वर्ष कमाई भी कर रही है .इसी परिसर में नगर विकास न्यास क्त ने एक नया महफील खान लगभग एक करोड़ दस लाख का बनवाया है जिसका काम अंतिम चरणों में है लेकिन कोटा का प्रशासन ..कोटा के निकाय ..कोटा के निर्वाचित प्रतिनिधि ..कोटा की ज़िलाव्क्फ़ कमेटी ..कोटा की दरगाह परिसर की देखरेख के लियें बनाई गयी वक्फ कमेटी और वक्फ बोर्ड इस मामले में नाकारा निकम्मा साबित हुआ है ..लोगों का कहना है के मजारो के खिलाफ विचारधारा लोग मजार और दरगाह की जमीन से तो लाखो रूपये कमाकर उढ़ा रहे है लेकिन कब्रों और मजारों की देखरेख के नाम पर वक्फ प्रशासन जीरो है ..जबकि सरकार के नुमाइन्दे वक्फ सम्पत्ति पर विकास कार्य तो करवा रहे है लेकिन मजारों की मरम्मत जेसे संवेदनशील मामले में खामोश है और इसी उदासीनता के कर्ण कोटा के आम मुसलमानों का गुस्सा सरकार और सरकार द्वारा नियुक्त वक्फ कमेटियों सहित राजस्थान वक्फ बोर्ड के खिलाफ बढ़ता जा रहा है .....ध्यान रहे इसी जन्ग्लिशाह बाबा भ्न्वर्शाह तकिया परिसर में कोंग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारियों के बेशकीमती जमीन पर कब्जे है यहाँ मस्जिद है सत्ता पक्ष के प्रतिनिधि रोज़ पांच बार नमाज़ पढने आते है और खुद वक्फ कमेटी का दफ्तर इसी परिसर में स्थित है जहाँ वक्फ कमेटी के सभी और कर्मचारी रोज़ उपस्थित है नए महफिल खाने के निर्माण के कारन नगर विकास न्यास के अधिकारी भी नियमित यहाँ आ रहे है फिर भी मजार दरगाह म्र्म्म्मत के नामा पर और पेढ को परिसर से हटाने के मामले में कोताही जानबूझ कर की गयी कार्यवाही मानी जा रही है वरना जिस परिसर से बीस लाख रूपये प्रति वर्ष की कमाई हो उस दरगाह की ऐसी बेहुरमती किस राजनीति या मजार विरोधी अकीदे का हिस्सा हो सकती है . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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