कोटा। शहर में कानून व्यवस्था बिगड़ने पर अब तत्काल
पैरामिलिट्री फोर्स कमान संभाल लेगी। सेना व आरएसी के अलावा शहर में
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) तथा बार्डर सिक्युरिटी फोर्स
(बीएसएफ) की बटालियन भी हर समय मुस्तैद रहेंगी।
दोनों ही पैरा मिलिट्री फोर्स का कोटा में स्थायी कैंप बनाने के लिए
इनके मुख्यालयों द्वारा यूआईटी से जमीन मांगी गई है। यूआईटी ने सीआरपीएफ को
तो जमीन देने की तैयारी भी कर ली है। बस शुल्क को लेकर अंतिम निर्णय करना
शेष है।
कोटा से मुख्य रेल व सड़क मार्ग द्वारा देश के कई राज्यों में तत्काल
पहुंचने की सुगमता के चलते पैरा मिल्रिटी फोर्स सीआरपीएफ व बीएसएफ अपनी
बटालियन यहां रखना चाहती हैं।
इसके लिए पिछले दिनों यूआईटी से उन्होंने जमीन मांगी थी। प्रस्ताव पर
यूआईटी ने सीआरपीएफ के अधिकारियों को धर्मपुरा में नई जेल के सामने वाली 20
हैक्टेयर जमीन दिखाई थी। ये जमीन उन्हें पसंद भी आ गई और उसके लिए आगे की
प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसी प्रकार बीएसएफ के अधिकारियों को शंभूपुरा
में यूआईटी ने जमीन दिखाई थी। उन्हें भी जमीन पसंद आ गई, लेकिन अभी तक उनकी
तरफ से कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है। जमीन मिलने के बाद दोनों फोर्स
एक साल में उस पर अपने लिए ऑफिस, बैरक और ग्राउंड आदि का निर्माण करेंगी।
लॉ एंड आर्डर बिगड़ा तो इंतजार नहीं करना होगा
दो पैरा मिलिट्री फोर्स की बटालियन कोटा में होने से शहर में लॉ एंड
आर्डर मेंटेन करना आसान होगा। 29 मई 2009 को जब गुर्जर आंदोलन के समय
स्थिति पुलिस के कंट्रोल से बाहर हो गई थी, तब सीआरपीएफ को बुलाने के लिए
पहले मुख्यालय से पत्र व्यवहार किया गया था। उसके बाद गुजरात से सीआरपीएफ
की टुकड़ी कोटा आई थी। इसके अलावा नगर निगम, विधानसभा व लोकसभा चुनावों में
भी सीआरपीएफ की मदद लेनी पड़ती है।
बैठक में होना था अंतिम निर्णय
सीआरपीएफ को यूआईटी द्वारा डीएलसी दर पर जमीन दी जाएगी। धर्मपुरा में
वर्तमान में डीएलसी दर 1.64 लाख रुपए प्रति बीघा है। सीआरपीएफ को 20
हैक्टेयर यानी 125 बीघा जमीन चाहिए। सीआरपीएफ को यूआईटी को जमीन के बदले
2.05 करोड़ रुपए देने होंगे। दर को निर्धारण करने के लिए संभागीय आयुक्त
अश्विनी भगत की अध्यक्षता में कमेटी बनी हुई है। कमेटी की यूआईटी व
सीआरपीएफ के साथ बुधवार को बैठक होनी थी। सीआरपीएफ के डीआईजी नहीं आने से
अब बैठक आगामी आदेश तक स्थगित कर दी है।
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