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23 जून 2013

ई टी वी उर्दू चेनल हेड जगदीश चन्द्रा ..खुर्शीद रब्बानी और ई टी वी टीम मुस्लिम मसाइल मामले में जिंदाबाद तो मुसलमान सियासी लीडर देश के सामने मुर्दाबाद हो गए .........ई टी के कार्यक्रम में कल सियासी मुसलमानों को अपनी अपनी पार्टियों की फ़िक्र थी कोई कोंग्रेसी तो कोई भाजपाई तो कोई सपाई था सबको फ़िक्र अपने आका नेताओं की थी कोम की फ़िक्र किसी मुसलमान को हो ऐसा मुसलमान ई टी वी को भी ना मिला ....

 ई टी वी उर्दू चेनल हेड जगदीश चन्द्रा ..खुर्शीद रब्बानी और ई टी वी टीम मुस्लिम मसाइल मामले में जिंदाबाद तो मुसलमान सियासी लीडर देश के सामने मुर्दाबाद हो गए .........ई टी के कार्यक्रम में कल सियासी मुसलमानों को अपनी अपनी पार्टियों की फ़िक्र थी कोई कोंग्रेसी तो कोई भाजपाई तो कोई सपाई  था सबको फ़िक्र अपने आका नेताओं की थी कोम की फ़िक्र किसी मुसलमान को हो ऐसा मुसलमान ई टी वी को भी ना मिला ....
दोस्तों इस देश में मुसलमानों को उनका हक दिलाने .. उन्हें  जाग्रत करने उन्हें इन्साफ दिलाने का काम  जिन मुस्लिम लीडरों को करना चाहिए था ....वोह तो सियासी पार्टियों के गुलाम बनकर ..मुस्लिम कोम की वोटर के रूप में सोदेबाज़ी कर रहे है ... लेकिन खुदा ने इसी बीच मुसलमानों के साथ राजनीतिक अत्याचार ..भेदभाव ..बलात्कार ...और सिर्फ और सिर्फ कोरी घोषणाओं के सच को जानकर उनके लिये  उनकी  अपनी बात कहने के लियें   उनका दर्द बताने और उन्हें इंसाफ दिलाने के लियें  ... ई टी वी  उर्दू हेड जगदीश चन्द्रा कातिल और रिपोर्टर खुर्शीद रब्बानी के रूप में एक जरिया बनाया ..............अफ़सोस इस बात पर है के जगदीश चन्द्र कातिल और खुर्शीद रब्बानी इस कोशिश को पिछले चार सालों  लगातार कर रहे है ......लेकिन मुसलमानों के किसी भी नेता के कान पर जू नहीं रेगी है ..उनका जमीर नहीं जागा  है ...उनके दिलों में कोम की हमदर्दी पैदा नहीं हुई ..सिर्फ उनके गलों में सियासी पार्टियों का पट्टा है ....... और यह सियासी पार्टियाँ ..अगर कहती है ..के भोंको ..तो यह भोंकते है ..वरना एक समझदार वफादार की तरह ...अपने कोम का दर्द ...कोम की नाइन्साफ़िया भूल कर ..सियासी पार्टियों के आकाओं के तलवे चाटते है ... या फिर कोम के हालातों पर कोम के लोगों की चीख  पुकार रोकने के नाम पर ....सियासी पार्टियों से पदों के लालच में सोदेबाज़ी करते है .......ई टी वी उर्दू हेड जगदीश कातिल और खुर्शीद रब्बानी सहित उनकी पूरी टीम ने कोम के लीडरों का कोम से ज्यादा सियासी पेरवी का सच आम जनता को दिखाया है ..देश और विश्व को दिखाया है ...मुस्लिम कोम के दबे कुचले हालातों को देख कर .... हिन्दू नेताओं को मुसलमानों पर रहम आ गया ..मुस्लिम विरोधी कट्टर हिंदूवादी पार्टियों को मानवता के नाते मुस्लिमों के दर्द के बारे में सोचने पर मजबूर होना पढा ... लेकिन अफ़सोस सद अफ़सोस ..मुसलमान नेता मुसलमान नहीं बन सके ....वोह कोम के दर्द को समेट कर सियासी पार्टियों के आकाओं के सामने सिर्फ और सिर्फ सोदेबाज़ी करते नज़र आये .....किसी भी सियासी पार्टी के मुस्लिम नेता में इतना साहस नहीं के वोह खुले मंच से मुसलमानों के सही हालातों की तर्जुमानी करे ...मुसलमानों के दुःख तकलीफों को उजागर करे ...और सरकार से लड़कर ..... अपनी सियासी पार्टियों से लड़कर मुस्लमानो को उनका हक दिलाये ......आज ई टी वी उर्दू की इस कोशिश से कोम जाग गयी है ..देश जाग गया है ...देश में जो लोग मुसलमानों से नफरत कर उनकी तुष्टिकरण की बात करते थे .. कोरी सरकार की घोषणाओं और कोरे वायदों का सच जानकर जो लोग मुसलमानों पर गुस्सा होते थे ..आज उनपर रहम खाने लगे है ..... लेकिन यह कोम के नेता आज भी कसाई बनकर .... कोम को बकरा बकरियों की तरह से सियासी पार्टियों को बेचने की जुगत में लगे हुए है .. पुरे पैसठ साल के कोम के साथ हुए बलात्कार ..अत्याचार ..अनाचार नाइंसाफी का सच भाजपा के राजनाथ तो जान गए है ..पत्रकार संतोष भारतीय समझ गए है ..ई टी वी उर्दू चेनल जान गया है लेकिन कोम के लीडर जानकर भी अनजान बने बेठे है और कोम की पेरवी करने की जगह सियासी गुलामी में लगे है ....दोस्तों एक कोम के लियें इससे ज्यादा शर्म की बात और क्या हो सकती है .... के एक केंद्र सरकार का केबिनेट मंत्री ... जिसकी केंद्र में सरकार है ...और जिस केंद्र सरकार को संविधान की अवहेलना करने पर किसी भी राज्य की सरकार को बर्खास्त करने का अधिकार हो ....वोह मंत्री मंच पर गुजरात सरकार के सामने बेबस एक मेमना सा गिद्गिदाता हुआ कहे ... के में तो गुजरात के लियें बजट भेजता हूँ ... गुजरात सरकार  मुसलमानों को देने से इंकार करती है   ....अरे ऐसी सरकार ...जो केन्द्रीय योजनाओं और संविधान के भाव के खिलाफ अगर काम करती है ...तो केंद्र से उसे बर्खास्त क्यूँ नहीं करवाते .....एक सेवानिव्रात्त नोकर जो अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमेन है जिसे ऐसे किसी भी अधिकारी ऐसे किसी भी लोकसेवक चाहे वोह सांसद लोकसेवक हो ....चाहे वोह मुख्यमंत्री लोकसेवक हो ...उसे मुसलमानों के साथ ना इंसाफी पर जवाब देने के लियें पहले सम्मन से और फिर अगर नहीं आये तो वारंट से बुलाने का अधिकार हो ...और वोह मंच पर बेबस सा नज़र आये ...तो फिर यही सच लगता है के यह लोग केवल गुलाम और बिके  हुए है हुए है ...केवल अपने वायदे के लियें कोम की सोदेबाज़ी कर रहे है ...और कोम के मसाइल के नाम पर सियासत और सिर्फ सियासत कर रहे है .......ई टी वी हेड जगदीश चन्द्र कातिल ने कल कोंफ्रेंस में बहुत कोशिश की ...के मुसलमान नेता मुसलमानों के लिये मुसलमानों के मसाइलो पर बोले ....लेकिन वोह नाकाम रहे।। मंच पर बोलने वाले शायद नाम से तो मुसलमान थे ...लेकिन सियासत के इन गुलामों ने सिर्फ और सिर्फ अपनी अपनी पार्टियों  का प्रचार और केवल क़सिदेबाज़ी की है .... देश ने इस सच को देखा है ... मंच पर बेठे इन कोम के सोदेबाज़ों की ..सियासी गुलामी वोह समझे है ..........ई टी वी  हेड जगदीश कातिल ने कोंफ्रेंस शुरू करते वक्त सीधे शब्दों में कहा था के चाहे केंद्र सरकार हो ....चाहे भारत सरकार हो ....पैसठ सालों में इन सरकारों ने कोरी घोषणाओं के सिवा ...कोरे वायदों के सिवा ...मुसलमानों को कुछ ख़ास नहीं दिया है ... बजट हर साल बनता है  ..योजनाएं हर साल बनती है .... लेकिन वोह मुसलमानों तक नहीं पहुंच पाता ....पैसठ सालों में एक साल भी ऐसा नहीं है जब सरकार द्वारा घोषित मुसलमानों के कल्याण के बजट की पूरी क्रियान्विति हुई हो ...उनके लियें खर्च किये जाने वाला बजट पूरा खर्च किये  बगेर हर बार करोड़ों करोड़ रूपये मुसलमानों के कल्याण पर बिना खर्च हुए वापस चले जाते है ...बस इसे ही बताने के लियें मुसलमानों को बोलना था ... लेकिन ई टी वी उर्दू चेनल ने मंच पर उन लोगों को बुलाया जो केवल और केवल नाम के मुसलमान  थे ..लेकिन हकीक़त में मुसलमान नहीं सियासत के गुलाम थे ...जिन्हें कोम के हक में बोलने में डर लगता है ..जो सियासी पार्टियों के वकील है ..कोम के सोदेबाज़ है ... इस सच को कल ई टी वी के जगदीश चन्द्र ने जाना और घोषणा की ..के अगली बार ऐसी कोंफ्रेंस जब भी होगी ...तब कोई सियासी व्यक्ति कार्यक्रम की अध्यक्षता नहीं करेगा ...कोई सियासी व्यक्ति इस सेमिनार का उद्घाटन नहीं करेगा ... एक इक्कीस साल का कोम का नोजवान तो कार्यक्रम का आगाज़ करेगा और जो मजहब और धर्म की बात करता हो कोम की बात करता हो वोह कार्यक्रम की सदारत करेगा .......सियासी लोग तो भाषण देंगे ...उनका सम्मान करेंगे ...बस इतना ही काफी है ..............इस सेमीनर का नाम अब अल्पसंख्यकों के समक्ष चुनोतियों की जगह मुसलमानों के समक्ष  चुनोतिया  रखा जाएगा ................ई टी वी के कार्यक्रम में का देश ने देखा है वहां  उपस्थित मुसलमानों ने देखा है ...देश के मुसलमानों ने देखा है के वहां सभी को फ़िक्र थी अपनी अपनी पार्टियों ... अपने अपने आका सियासी नेताओं की ..किसी ने भाजपा की फ़िक्र की ..किसी ने कोंग्रेस की फ़िक्र की ..किसी ने सपा की ....किसी ने जदयू की ..तो किसी ने दूसरी पार्टी की फ़िक्र की ....लेकिन कोम की फ़िक्र रखने वाला कोई मुसलमान नेता नहीं ...या तो धर्मगुरु था ..या फिर शंकराचार्य थे ..कोम की फ़िक्र वाले या तो संतोष भारती थे या फिर ई टी वी के जगदीश चन्द्र थे ऐसे में ऐसे नेताओं के साथ क्या सुलूक किया जाए कोम बहतर जान्रती ......... इससे बहतर तो भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष राजनाथ सिंह निकले .....संतोष भारती निकले डोक्टर किरोड़ी मीणा निकले ..ई टी वी ने भी बोलने वालों को बोलने नहीं दिया और जिसे जनता नहीं सुन्ना चाहती थी उन्हें बोलने का मोका दिया ...आम जनता आम मुसलमान जिसके मसाइल थे ...उसकी तरफ से किसी को मुक़र्रर नहीं किया के कोम के राज्य और केन्द्रीय स्तर के कोनसे मसले है जो उजागर हो .. जिन पर  नेता मंत्री अधिकारी और सरकारे विचार करे .....मुस्लिमों के लियें स्वीक्रत बजट कहा जाता है क्यूँ मुसलमानों तक नहीं पहुंचता कोई नहीं बोला ....पन्द्राह सूत्रीय कार्यक्रमों की क्रियान्विति जीरो क्यूँ है कोई नहीं बोला ............उन्नीस सो तिरेपन के आरक्षण परिपत्र में केवल हिन्दुओं को ही आरक्षण देकर मुस्लिम दस्तकारों को आरक्षण से बाहर क्यूँ किया गया कोई नहीं बोला ..देश की सियासत में मुसलमानों की भागीदारी क्यूँ नहीं बनाते कोई नहीं बोला .. ऐसे कई मुद्दे थे जिनपर ई टी वी और वक्ताओं को बोलना था लेकिन यह सब अनछुए रहे लेकिन जो भी रही नहीं मामा से काने मामा की तरह बहतर रहे कामयाब रहे और मुबारकबाद के लायक रहे कुछ तो धुल उडी है कोम के दबे हुए मसलों से मुस्लिम लीडर जो गुलाम है वोह जागे हो या ना जागे हो उनका जमीर जागा हो या ना जागा हो लेकिन मुसलमान और देश जरूर जाग रहा है ..........................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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