आज भारत में २३ करोड़ परिवार है और औसत हर घर में एक बेरोजगार है.......
मजे की बात देखिये---
पिछड़ा सोचता है उसका हक़ सवर्ण खा रहा है,
सवर्ण सोचता की उसका हक़ एसटी खा रहा है,
एसटी सोचता की उसका हक़ मुस्लिम खा रहे हैं,
यह सब आंकडा नौकरी करते लोगो की संख्या से निर्धारित हो रही है,
लेकिन सच्चाई यह है की इन सब का हक़ विदेशी लोग खा रहे हैं क्योकि भारत में जितना उपभोक्ता बस्तुये बिक रही हैं उनके उत्पादन के लिए कम से कम 14 करोड़ लोगो को पूर्णकालिक और 10 करोड़ लोगो को अप्रतक्ष्य रोजगार मिल सकता है. भारत में विदेशी कंपनिया हर साल करीब 30 लाख करोड़ का व्यापार कर रही हैं जो भारत के वार्षिक बजट से बहुत ज्यादा है.
भारत में जहाज के जहाज भरकर उतर रहा सामान जो विदेशो में बन रहा है और विदेशी लोगो को रोजगार ही नहीं बल्कि उनका कच्चा माल भी खपा रहा हैं. यह सब कांग्रेस के गुर्गो की देंन है.
भारत की डिफेंस का हर सामान विदश से आता है, तेल विदेश से आ रहा है, बाज़ार में १०० में से ९५ वस्तुए हम विदेश की पा रहे हैं तो रोजगार तो विदेश ही में पैदा होगा और हमारे युवा राहजनी करने को मजबूर होंगे....आज लाखों युवा रोजगार ना होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं...!
मजे की बात देखिये---
पिछड़ा सोचता है उसका हक़ सवर्ण खा रहा है,
सवर्ण सोचता की उसका हक़ एसटी खा रहा है,
एसटी सोचता की उसका हक़ मुस्लिम खा रहे हैं,
यह सब आंकडा नौकरी करते लोगो की संख्या से निर्धारित हो रही है,
लेकिन सच्चाई यह है की इन सब का हक़ विदेशी लोग खा रहे हैं क्योकि भारत में जितना उपभोक्ता बस्तुये बिक रही हैं उनके उत्पादन के लिए कम से कम 14 करोड़ लोगो को पूर्णकालिक और 10 करोड़ लोगो को अप्रतक्ष्य रोजगार मिल सकता है. भारत में विदेशी कंपनिया हर साल करीब 30 लाख करोड़ का व्यापार कर रही हैं जो भारत के वार्षिक बजट से बहुत ज्यादा है.
भारत में जहाज के जहाज भरकर उतर रहा सामान जो विदेशो में बन रहा है और विदेशी लोगो को रोजगार ही नहीं बल्कि उनका कच्चा माल भी खपा रहा हैं. यह सब कांग्रेस के गुर्गो की देंन है.
भारत की डिफेंस का हर सामान विदश से आता है, तेल विदेश से आ रहा है, बाज़ार में १०० में से ९५ वस्तुए हम विदेश की पा रहे हैं तो रोजगार तो विदेश ही में पैदा होगा और हमारे युवा राहजनी करने को मजबूर होंगे....आज लाखों युवा रोजगार ना होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं...!
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